मुबारक अली, ब्यूरो चीफ, शाहजहांपुर (यूपी), NIT:
आज के इस कलयुग में जहां 50, 100 रुपए के लिए भी कुछ लोग झूठ बोलने से परेज़ नहीं करते तो वहां पर 500, 500 के नोटों से भरी थैली वापस कर देना आज के इस युग में किसी अजूबे से कम नहीं है.
ईमान की पहचान दुख भरे वक्त में ही होती है जी हां बिल्कुल सही एक रिक्शा चलाने वाले की आर्थिक स्थिति क्या होती है यह हम और आप सभी अच्छी तरीके से समझ सकते हैं जो 200-300 बा मुश्किल से पैदा करता है तब कहीं जाकर उस गरीब के घर का चूल्हा जलता है ऐसी स्थिति का व्यक्ति यदि दो 200, 400 के लिए यदि झूठ भी बोल दे तो कोई हर्ज नहीं मगर लाईक अहमद रिक्शा चालक जो बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने का काम करते हैं उनको एक थैली (पॉलिथीन) मिली जिस में 500, 500 के नोटों से भरी हुई गरीबी की हालत में जिंदगी गुजार रहे लाइक अहमद का रुपए देखकर ईमान नहीं डगमांगया और उन्होंने नोटों से भरी उस थैली को लीड कान्वेंट स्कूल के प्रबंधक मोहम्मद जमाल के पास जमा कर दी. लाइक अहमद के इस कार्य की जनपद में सराहना की जा रही है।
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