शारिफ अंसारी, मुंबई, NIT; ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो रेलवे के प्रस्तावित मार्ग का सर्वे तथा पैमाइश करने आए भिवंडी तालुका के भू-अभिलेख कार्यालय और मुंबई मेट्रो रेलवे कारपोरेशन के अधिकारियों का विरोध करते हुए दापोड़े ग्राम के गांव वासियों व शिवसैनिकों ने सर्वे करने से रोक दिया। स्थानीय लोगों की नाराज़गी को देखते हुए ज़मीन का सर्वे तथा पैमाइश करने आए अधिकारियों को वापस जाना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि भिवंडी, ठाणे तथा कल्याण में होने वाले ट्रैफिक जाम से छुटकारा तथा नागरिकों को यातायात सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एमएमआरडीए प्रशासन द्वारा आयोजित पूर्व 23 अक्टूबर 2016 की बैठक में ठाणे-भिवंडी-कल्याण के मेट्रो-5 रेलवे मार्ग को मंज़ूरी दी है। जिसमें 24 किमी लंबे प्रकल्प के लिए 8 हज़ार 416 करोड़ रूपए का खर्च आने वाला है। इसी बैठक में मेट्रो-5 के साथ मेट्रो-6 के विस्तारीकरण की मंज़ूरी दी गई है। इन दोनों प्रकल्प के डीपीआर की मान्यता के लिए कैबिनेट के सामने रखकर मंज़ूरी दी गई है।मेट्रो-5 के अंतर्गत कुल 17 स्टेशन होंगे, जिसके मार्ग के लिए ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो जगह की सर्वे तथा पैमाइश के लिए भिवंडी तालुका भू-अभिलेख कार्यालय और मुंबई मेट्रो रेलवे कारपोरेशन के अधिकारी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ दापोड़े गाँव पहुंचे। इस बात की जानकारी भिवंडी के शिवसेना संपर्क प्रमुख कुंदन पाटिल और दापोड़े गाँव ग्रामपंचायत के सरपंच कर्ण सुरेश पाटिल को मिली। उक्त दोनों नेता शिवसैनिकों तथा सैकड़ों ग्राम वासियों के साथ घटना स्थल पर पहुँच कर किसानों का पक्ष रखते हुए दापोड़े स्थित सर्वे नं. 115 की सरकारी जमीन की पैमाइश करने का तीव्र विरोध कर अधिकारियों को बताया कि यह सर्वे और पैमाइश गैर-कानूनी तरीके से की जा रही है। इस विवाद को लेकर घटना स्थल पर उपस्थित अधिकारी व गाँव वालों के बीच विस्तार से चर्चा होने के बाद अधिकारियों ने ज़मीन सर्वे व पैमाइश का काम बंद कर दिया। उपस्थित शिवसैनिकों और गाँव वालों ने अधिकारियों को कहा कि सर्वे के पहले सभी कार्य नियम कायदे से करने के बाद ज़मीन की पैमाइस व सर्वे की जाए। इस तरह मेट्रो रेल मार्ग के जमीन के अधिग्रहण का कार्य फिलहाल रुक गया है।
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