प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्रीमती अर्चना चिटनिस ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह से भेंट कर की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रभावी, व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन की मांग | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्रीमती अर्चना चिटनिस ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह से भेंट कर की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रभावी, व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन की मांग | New India Times

भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने भोपाल प्रवास के दौरान प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह से मुलाकात कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की। श्रीमती चिटनिस ने मंत्री श्री कुशवाह को प्रधानमंत्री फसल बीमा को अधिक प्रभावी व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिए विचारणीय सुझाव देते हुए पत्र प्रेषित किया।भेंट के दौरान मंत्री श्री कुशवाह को श्रीमती अर्चना चिटनिस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा को अधिक प्रभावी व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिए विचारणीय सुझाव हेतु पत्र सौंपते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल सुरक्षा की एक प्रभावी योजना है, जिसमें किसान के लिए आपदा की स्थिति में जोखिम सहन करने की क्षमता में वृद्धि होती है। योजना मात्र ना होकर किसानों में आत्मविश्वास का संचार करने व सकारात्मक प्रभाव डालने का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की एक वृहद कल्पना का साकार रूप है। श्रीमती चिटनिस ने सौंपे पत्र में अनेक सुझाव दिए, जिनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत फसल नुकसान का आंकलन वर्तमान में मौसम वैघशाला (वैडर स्टेशन/मौसम केन्द्र) कुछ स्थानों पर स्थापित कर मौसम जलावायु के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। इसमें किसानों के नुकसान का वास्तविक आंकलन नहीं हो पाता है। जिसके कारण कभी तो अधिक नुकसानी पर कम बीमा राशि प्राप्त होती है और कभी अधिक नुकसान पर कम राशि किसान प्राप्त करता है। ऐसी स्थिति में आपदा के समय फसल नुकसान के आंकलन की विधि वैज्ञानिक और सटीक हो, जिससे कि वास्तविक नुकसान होने पर किसान लाभान्वित हो तथा बीमा की दावा राशि के वितरण में विसंगतियों को दूर किया जा सके। जैसे कि मेरा सुझाव है कि जीयो इनफोरमेटिक एण्ड रिमोट सेंसिंग का भी उपयोग करने पर विचार किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा का दायरा निरंतर बढ़ रहा है। फसलों के बीमा हेतु एक स्वशासी उत्तरदायी संस्थान का गठन किया जाना चाहिए। यह संस्था अन्य स्वशासी संस्थाएं जैसे बीज निगम, मंडी बोर्ड, बीज प्रमाणिकरण संस्था एवं राज्य जैव प्रमाणिकरण संस्था की भांति विभाग के (अंडेर दा अम्ब्रेला) अंतर्गत कार्य करें। यह कृषि बीमा स्वशासी संस्था आईआरडीए के नियमों के तहत संचालित हो। समय अनुसार होने वाले आवश्यक परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी हो तथा एक निश्चित प्रक्रिया कर बीमा कंपनियों को क्षेत्र आवंटित करें।
मध्यप्रदेश में शुद्ध काश्त योग्य रकबा 151.91 लाख हेक्टेयर है, जो कुल 11 एग्रो क्लिमेटिक जोन में विभाजित है। बीमा कंपनियों के लिए टेंडर का आमंत्रण जिलेवार न करते हुए जोनवार अथवा दो जोन मिलाकर समस्त अधिसूचित कृषि एवं उद्यानिकी फसलों का बीमा करने के लिए कम से कम दो या तीन वर्ष के लिए कंपनी अधीकृत की जाए। इससे बीमा कंपनी व कृषकों के बीच समन्वय एवं विश्वास बनेगा। साथ ही साथ बीमा कंपनी के लिए भी वायबिलीटी सुनिश्चित होगी। परिणामस्वरूप अधिक से अधिक किसान स्वयं बीमा कराने के लिए जागरूक होंगे। यह अत्यंत गंभीर परिस्थिति है कि कई जिलों में निविदा जारी करने के उपरांत भी एजेंसी सुनिश्चित नहीं हो सकी है। अतः आपसे आग्रह पूर्वक निवेदन है कि इस विषय पर जवाबदेही सुनिश्चित कर समय-सीमा मंे आवश्यक पॉलिसी चौंज कर निर्णय क्रियान्वयन करने के लिए निर्देशित करने का कष्ट करें। आपके नेतृत्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा अंतर्गत मौसम आधारित फसल बीमें की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकेंगा।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading