सामुहिक आराधना के साथ 9 लाख महामंत्र के जाप किए गए, नवकार महामंत्र से मानव होता है भाव पार: निखिलशीलाजी | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

सामुहिक आराधना के साथ 9 लाख महामंत्र के जाप किए गए, नवकार महामंत्र से मानव होता है भाव पार: निखिलशीलाजी | New India Times

जैन धर्म आराधना प्रधान धर्म है, इसका मूल आराध्य मंत्र नवकार महामंत्र है, जिसे सर्व पाप नाशक मुक्ति कारक मंत्र भी कहा जाता है। किसी एक व्यक्ति पूजक न होकर यह गुण पूजक मंत्र रहा है, तीनों लोक की निर्दोष पाप रहित अनन्त आत्माओं को नमन करने से यह मंत्र महान प्रभावशाली मंत्र माना गया है।

स्थानीय पौधध भवन पर विराजित जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी की कृपा पात्र प्रवर्तक देव श्री जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्ती महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 4 की पावन प्रेरणा से दिनांक 7 अक्टोबर 2021 से 17 अक्टोबर तक लगातार दस दिनों तक उपाश्रय में आकर 96 आराधकों ने महामंत्र के 9 लाख जाप किये। सामूहिक जाप के साथ महामंत्र नवकार की पूर्णाहुति हुई।

इस अवसर पर पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. ने नवकार महामंत्र के मानव जीवन पर होने वालें चमत्कारिक प्रभावों की विस्तृत व्याख्या की गई। उन्होंने बताया कि नवकार महामंत्र के जाप से आदि व्याधि उपाधि सब शांत हो जाती है व मानव मुक्ति को प्राप्त कर लेता है। चाहो से परे होकर निःस्वार्थ मन कि एकाग्रता से इसका जप करने से यह महान प्रभाव दिखाता है।

उन्होंने सभी आराधकों के लिए मंगल कामना व्यक्त करते हुए इसे दैनिक जीवन मे शामिल करने की बात कही। सभी 9 लाख महामंत्र जाप के आराधकों को स्व. पानकुँवर गेंदलाल शाहजी की स्मृति में श्रीमती ज्योति सुरेश कुमार कांकरिया परिवार द्वारा समायिक उपकरण बैग की प्रभावना प्रदान की गई।

नवपद ओलिजी का ज्ञान आराधना का 6ठा दिवस

जानकरी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, कोषाध्यक्ष प्रकाश शाहजी व हितेश शाहजी ने बताया कि थांदला में इन दिनों नवपद ओलिजी का धार्मिक आयोजन भी चल रहा है जिसमें करीब 71 श्रावक श्राविकाओं द्वारा वरण, द्रव्य, आयम्बिल तथा निवि तप की आराधना की जा रही है। पूज्याश्री की पावन प्रेरणा से सभी आराधक दूध, दही, घी, तेल, शक्कर, नमक, मिर्च रहित उबला हुआ आहार महज एक समय ग्रहण कर इस तप को कर रहे है। इसमें प्रतिदिन नव दिन नवकार महामंत्र के पांच पद तथा ज्ञान, दर्शन, चरित्र व तप में से एक एक पद की आराधना की जाती है, उसी तारतम्य में आज ज्ञान की आराधना का दिन होने से सभी आराधकों ने ज्ञान के 51 गुणों का स्मरण करते हुए 51 वंदना, 51 लोगस्स तथा 51 णमो णाणस्स की माला गिनते हुए श्वेत वर्ण का ध्यान करते हुए ज्ञान की आराधना की। सभी आराधकों के तप का लाभ स्व. मंगलादेवी पावेचा की स्मृति में श्रीमती किरण प्रमोद कुमार चांदमल पावेचा परिवार द्वारा लिया जा रहा है। उनके द्वारा प्रतिदिन तपस्वियों का बहुमान करते हुए प्रभावना भी वितरित की जा रही है।


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