मेहलका इक़बाल अंसारी, भोपाल (मप्र), NIT:

एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष इरफान उल हक़ अंसारी (जबलपुर) ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि इंदौर की माब लिंचिंग की घटना के लिए जितने जिम्मेदार उपद्रवी हैं उतनी ही गलती सरकार की भी मानी जानी चाहिए। सरकार की तरफ से जल्दबाजी में दिए गए बयान और इसके आधार पर प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही ने समाज में कड़वाहट घोलने का काम किया है। फरियादी और उसके पक्ष में खड़े लोगों पर ही मुकदमे लाद दिए जाना, कानून के लिए लोगों की आस्था कम होने की वजह बन सकता है।
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष इरफानुल हक अंसारी ने ये बात पत्रकारवार्ता के दौरान कही। शुक्रवार को राजधानी भोपाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इंदौर में हुई माब लिंचिंग की घटना के बाद वह हालात नहीं बनते, जो गृहमंत्री डॉ नरौत्तम मिश्रा के जल्दबाजी में दिए गए बयान से बन गए। उनके बयान के बाद ही प्रशासन का रुख बदल गया। वह अब सरकार के दबाव में लग रहा है। जिसके चलते पीड़ित और उसे न्याय दिलाने वालों पर ही मुकदमे थोप दिए गए।
इरफान उल हक ने कहा कि गृहमंत्री को अपनी कही बात और दिए गए निर्देशों पर पुनर्विचार करना चाहिए। साथ ही जल्दबाजी में हुई गलती के सुधार के लिए पीड़ित और बेगुनाहों पर लादे गए मुकदमे वापस लेना चाहिए।
माब लांचिंग मामले की घटना पर प्रकाश डालते हुए इरफान ने बताया कि इंदौर के गोविंद नगर, बाणगंगा क्षेत्र में 22 अगस्त को दोपहर एक चूड़ी बेचने वाले तस्लीम नामक युवक के साथ तथाकथित हिंदूवादियों ने उसका नाम पूछा और यह पता चलने पर कि वह मुसलमान है, उसके साथ मारपीट की। मारपीट के दौरान हमलावर वहां मौजूद लोगों से बंबई बाज़ार की घटना का तस्लीम की पिटाई कर समुदाय विशेष से बदला लेने का आमंत्रण देते रहे थे। उसकी जेब और बैग में रखे रुपये लूट लिए गए। इतना ही नहीं मारपीट करने वालों ने इलाके की महिलाओं से उसका माल लूटने का आह्वान भी किया, जिसके बाद उसका माल लूट लिया गया। पीड़ित तस्लीम द्वारा थाने पर सूचना देने के बाद पुलिस घटना स्थल पर पहुंची और उसकी जेब से छीने गये रुपये वापस दिलाकर मामला रफा-दफा कर तस्लीम को वहां से रवाना कर दिया।
मारपीट के आरोपियों द्वारा वायरल वीडियो के बाद मामला चर्चा में आया। उधर क्षेत्रीय थाना प्रभारी ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से बताया कि उक्त मामले में हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई है, इसलिए हमने मामला दर्ज नहीं किया। इस संदेश के बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के जिला अध्यक्ष डाक्टर मुमताज़ कुरैशी, रज़ा एकेडमी के ज़ैद पठान उक्त युवक को आला पुलिस अधिकारियों की सलाह पर सेंट्रल कोतवाली लेकर पहुंचे। जहां इन्होंने पुलिस अधिकारियों से चर्चा कर मारपीट के आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कराई। इस दौरान देखते-देखते थाने के बाहर लोग जमा हो गए। जिसे एफआईआर होने के बाद समझा-बुझाकर रवाना कर दिया गया।
मामला उस वक्त उलट गया, जब इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री का ब्यान आया, जिसमें वह इलाके को हिंदी-मुस्लिम में बांटते हुए दिख रहे हैं। जिसमें वह यह कहकर कि चूड़ी बैचने का काम वह व्यक्ति नाम, जाति, धर्म और वल्दियत छिपाकर कर रहा था। मामले को धार्मिक बना रहे हैं। उन्होंने अपने ब्यान में चुड़ी पहनाते समय भ्रम की स्थिति पैदा होने की बात कहकर अप्रत्यक्ष रूप से मामले को छेड़छाड़ का बना दिया, साथ ही दो दो आधार कार्ड मिलने की बात कहकर मामले को खास रूख देने का काम किया गया, जबकि गृहमंत्री के ब्यान के समय तक न तो पीड़ित के खिलाफ कोई मामला बना था और न कोई दस्तावेज ज़ब्त किया गया । गृहमंत्री का यह ब्यान न सिर्फ गैर ज़िम्मेदाराना है बल्कि लोगों को बांटने वाला, पीड़ितों को न्याय पाने के रास्ते में रुकावट खड़ी करने वाला और बेगुनाहों को नाजायज तरीके से फंसाने वाला है। जिसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। घटना के बाद अपनी नाकामी छिपाने और आरोपियों को बचाने के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और उसके पदाधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। इसी के चलते प्रदेश उपाध्यक्ष अब्दुल रऊफ बेलीम और इंदौर जिला अध्यक्ष डाक्टर मुमताज़ कुरैशी, जो पीड़ित को न्याय दिलाने में पेश पेश थे, उनके के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए गए। जिसके साथ ही पार्टी को बदनाम करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया। जिसका हम विरोध करते हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि वह पीड़ित तस्लीम और अब्दुल रऊफ बेलीम,ज़ैद पठान, डाक्टर मुमताज़ कुरैशी और अन्य लोगों पर लगाए गए फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं।
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