अशफाक कायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:
प्रदेश में लगातार होती माॅबलिंचनिंग पर सरकारी स्तर पर ठोस कार्यवाही नहीं होने व सरकारी मनोनयन सहित विभिन्न स्तर पर सरकार द्वारा समुदाय की उपेक्षा करने के अलावा समुदाय समबन्धित बोर्ड-निगम व आयोगों का अभी तक गठन नहीं होने सहित अनेक मुद्दों को लेकर पूर्व उप मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता सचिन पायलट से उनके निवास पर राजस्थान के मुस्लिम समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल मिलकर पार्टी हाईकमान तक उनकी बात पहुंचाने की उनसे अपील की।
राजस्थान के मुस्लिम समुदाय के विभिन्न क्षेत्र के माहिर सैकड़ों लोगों के सचिन पायलट से मिले एक प्रतिनिधिमंडल ने पायलट को खुले अंदाज व खुशनुमा माहौल में अपनी बातें रखने व शंकाएं जाहिर करने पर पायलट द्वारा उनकी बात सुनकर उनको ऊपर तक पहुंचाने का वादा करने पर उपस्थित लोग उनके आश्वासन के प्रति आश्वस्त नजर आये।
वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री लम्बे अर्से से कोराना के बहाने अपने निवास पर रहने से उनसे मिलकर अपने दर्द की बात रखना मुश्किल हो गया है। एक तरह से उनके लिये मुख्यमंत्री के सरकारी आवास की इंट्री बंद सी हो गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केवल अपना पद बचाने में लगे हैं। वक्ताओं ने सरकार गठन से लेकर अब तक के विभिन्न संवैधानिक पदों पर मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व नहीं देने का दुखड़ा भी सूनाया। अभी तक समुदाय समबन्धित बोर्ड-निगम व आयोग का गठन तक नहीं होना अफसोसजनक बताया।
उर्दू अकेडमी के पूर्व अध्यक्ष हबीबुर्रहमान नियाजी ने सरकार गठन से लेकर अब तक सरकारी स्तर पर समुदाय की उपेक्षा का सिलसिलेवार जिक्र करते हुये कहा कि अब फरियाद लेकर मुख्यमंत्री निवास तक जाना मुश्किल हो चुका है। उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष आमीन कायमखानी ने सरकार द्वारा मदरसा तालीम व उर्दू भाषा को खत्म करने की सरकारी नीति पर खुलकर विचार व्यक्त किये। आमीन ने मदरसा पैरा टीचर्स को कांग्रेस घोषणा पत्र में किये वादे के अनुसार अभी तक स्थायी नहीं करने पर चिंता जताई। वक्ताओं ने प्रदेश में मुसलमानों के साथ हो रही माॅबलिंचनिंग व हर स्तर पर नाइंसाफी के खिलाफ ठोस कार्यवाही नहीं होने का मुद्दा भी उठाया। प्रतिनिधि मण्डल में आई महिलाओं ने अपनी बात रखते हुये राजस्थान की कांग्रेस सरकार की नीति पर सवाल खड़े किये।
वक्ताओं ने सरकार की नीतियों व मुख्यमंत्री की कार्यशैली से मुस्लिम समुदाय में पनप रहे असंतोष के चलते आगे चलकर खासतौर पर युवाओं का एआईएमआईएम की तरफ आकर्षित होकर सांसद असदुद्दीन आवेसी के साथ जुड़कर राजस्थान मे राजनीति करने के सम्भावित खतरे की तरफ भी इशारा भी किया।
ज्ञात रहे कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के गठन से लेकर अब तक न्यायालय में अतिरिक्त महाधिवक्ताओं के मनोनयन, राजस्थान पब्लिक सर्विस कमिशन, कर्मचारी चयन आयोग, लोकायुक्त, सुचना आयुक्त, मानवाधिकार आयोग सहित अनेक संवैधानिक पदों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को नकारा गया है।
सचिन पायलट से मिले प्रतिनिधि मण्डल की खासियत यह थी कि उसमें राजनीति से जुड़े लोगों के मुकाबले समुदाय के सामाजिक वर्कर, हिन्दी-अंग्रेजी व उर्दू भाषा के पत्रकार व धार्मिक विद्वान अधिक नजर आये। अच्छी तालीमयाफ्ता महिलाओं की तादाद भी ठीक ठाक थी।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.