मेहलका इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
भाऊ फाउंडेशन के जिला अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश भगत ने बताया कि संस्था की पदाधिकारियों और सदस्यों ने शुक्रवार को लोकमान्य तिलक और शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। जिलाध्यक्ष राजेश भगत ने उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लोकमान्य तिलक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने भगवान गणेश स्थापना की शुरुआत की थी इसके पीछे सभी को साथ में लेकर एकजुटता के साथ काम करने का जज्बा था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है। चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वंदे मातरम्’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए। जब क्रांतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और ” हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी ” से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए। ऐसे महान विभुतियों के सदा हम ॠणी रहेंगे। इस अवसर पर आशीष भगत, लालू भाई, आशीष सुखदाने और समाजसेवी उपस्थित थे।
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