मशहूर वकील नरेंद्र कुमार भंडारी नहीं रहे, मोहम्मद अनीस खान एडवोकेट ने शागिर्द होने का निभाया फर्ज, धार्मिक रीति रिवाज से उनका कराया अन्तिम संस्कार, भतीजे अमित ने दी मुखाग्नि | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:

मशहूर वकील नरेंद्र कुमार भंडारी नहीं रहे, मोहम्मद अनीस खान एडवोकेट ने शागिर्द होने का निभाया फर्ज, धार्मिक रीति रिवाज से उनका कराया अन्तिम संस्कार, भतीजे अमित ने दी मुखाग्नि | New India Times

बहराइच जिले के मशहूर वकील नरेन्द्र कुमार भण्डारी का उपचार के दौरान जिला अस्पताल के कोविड L2 वार्ड में निधन हो गया, उनकी आयु लगभग 85 वर्ष थी और वह कोरोना से संक्रमित थे मगर जांच में रिपोर्ट निगेटिव थी।
शहर के मो0 बड़ी हाट निवासी नरेन्द्र कुमार भण्डारी एडवोकेट जिले की बहुत ही मशहूर शख्सियत माने जाते थे, वह तक़रीबन 55- 60 वर्षों से वकालत के पेशे से जुड़े थे और फौजदारी मामलों के अच्छे जानकार माने जाते थे. लगभग 30 सालों तक सरकारी वकील के पद पर भी कार्य कर चुके थे। भण्डारी साहब का पुत्र पवन कुमार भंडारी इस समय कीनिया में थे, मौके पर औलाद नहीं थी, पत्नी ऊषा भण्डारी तारा महिला इण्टर कालेज में इंग्लिश की लेक्चरार थी. स्व0 भण्डारी साहब का पूरा परिवार दिल्ली में रहता था। बताया जाता है कि भण्डारी साहब के अचानक बीमार पड़ने पर उपचार के लिये अस्पताल में भर्ती कराने से लेकर उनकी मृत्यु पर उनके अन्तिम संस्कार कराने तक उनके साथ लगभग 1998 से जुड़े मोहम्मद अनीस वकील पेश पेश रहे और उन्होंने उनके शागिर्द होने का हक़ अदा कर दिया. मोहम्मद अनीस वकील ने अपनी जिन्दगी की शुरुआत दीवानी कचेहरी में नरेंद्र कुमार भण्डारी साहब के साथ एक अर्जी नवीस के तौर पर शुरू की थी उन्हीं के हिम्मत बधाने पर मोहम्मद अनीस खान ने अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाते हुए एलएलबी किया और नरेंद्र कुमार भण्डारी साहब के आखिरी वक्त तक जुड़े रहे. वह नरेंद्र कुमार भण्डारी साहब को बाप का दर्जा देते थे।
मुक़ामी त्रिमुहानी घाट पर भण्डारी साहब के आखिरी रसुमात की सारी जिम्मेदारी मोहम्मद अनीस खान एडवोकेट ने ड्राइवर फरीद के साथ मिलकर निभाई हिन्दू रीति रिवाज से अन्तिम संस्कार को सम्पन्न कराने के लिये पण्डित जी को बुलाया गया, चिता सजाई गई और मरहूम नरेंद्र कुमार भण्डारी साहब के भतीजे अमित के बहराइच पहुंचने पर उन्होंने ही अपने चाचा भण्डारी साहब को चाची की मौजूदगी में मुखाग्नि दी।
त्रिमुहानी घाट पर दूसरी अन्य लाशों के साथ मौजूद लोगों ने मोहम्मद अनीस वकील के कार्यों को देख कहा कि मोहम्मद अनीस खान ने भण्डारी साहब के शागिर्द होने का हक़ अदा कर दिया।


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