राजस्थान में भी इबादतगाहों व तालीमीगाहों को समय रहते अस्पताल का रुप देने पर विचार करना होगा | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

राजस्थान में भी इबादतगाहों व तालीमीगाहों को समय रहते अस्पताल का रुप देने पर विचार करना होगा | New India Times

कोराना महामारी से भारत के अनेक हिस्से में सरकारों की कोशिशों के बावजूद सीमित साधनों की उपलब्धता के चलते हालात बेहतर होने की बजाये मुश्किल होते जा रहे हैं। ऐसे हालात में हर इंसान व सामाजिक एवं मजहबी संगठनों के साथ साथ तालीमीगाहों व इबादतगाहों की भी मुश्किल हालात में अहम जिम्मेदारी बनती है कि वो सरकारी गाईडेंस के अनुसार सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने इबादतगाहों का कुछ हिस्सा व तालीमीगाहों को अपने बजट पर अस्पताल का रुप देकर कोराना महामारी से ग्रसित मरीजों के इलाज का इंतजाम सुनिश्चित करने पर गम्भीरता पूर्वक विचार करके अपना अहम किरदार अदा करें।

राजस्थान में भी इबादतगाहों व तालीमीगाहों को समय रहते अस्पताल का रुप देने पर विचार करना होगा | New India Times

हालांकि भारत भर में कुछ इबादतगाह व तालीमीगाहों के जिम्मेदार आगे आकर उन स्थलों को अस्तपताल का रुप दे चुके हैं एवं कुछ दने में लगे हैं। वहीं कल दिल्ली के ओखला क्षेत्र के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी अच्छी पहल करते हुये अपने विधानसभा क्षेत्र की मस्जिदों के इमाम साहिबान की एक आवश्यक मीटिंग करके इस तरफ कदम उठाने के लिये उन्हें तैयार करके जनप्रतिनिधि होने का वास्तविक हक अदा किया है। जिस पहल का देश के अन्य जनप्रतिनिधियों को भी अनुसरण करने पर विचार करना चाहिए।
हमारे प्रदेश राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2020 के कोराना काल में भी बेहतर से बेहतरीन कदम उठाकर एक सच्चे जनप्रतिनिधि व जनता का प्रहरी होने की जिम्मेदारी का अहसास करवाया था एवं अभी भी कोराना द्वितीय फेज के कारण बने मुश्किल हालात में भी सरकारी स्तर पर अच्छा प्रबंधन करने में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
हालांकि कोविड को लेकर राजस्थान के हालात अभी सरकारी कंट्रोल में नजर आ रहे हैं लेकिन रोजाना पंद्रह हजार के करीब कोराना पाॅजीटिव मरीज आने से लगता है कि यहां भी अन्य प्रदेशों की तरह हालात भयावह हो सकते हैं। उस भयावह हालात से निपटने के लिये सरकार अपने स्तर पर अच्छे से अच्छा प्रबंधन कर रही है लेकिन जिन इबादतगाहों व तालीमीगाहों को बनाने व उसको चलाने में आम आदमी ने दिल खोलकर हर तरह की भागीदारी निभाई है। तो आज आम आदमी पर मुश्किलों का पहाड़ टूटने के उपरांत उनकी प्रबंधन कमेटियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो आम आदमी को रिलीफ देने के लिये आगे आये।
राजस्थान के सीकर शहर के ऐक्सीलैंस फाऊंडेशन के चेयरमैन वाहिद चोहान ने शहर स्थित अपने स्कूल व कालेज भवन को सरकार द्वारा कोविड सेंटर के लिये उपयोग करने का आफर देकर शुरुआत की है। जबकि चौहान स्वयं कोविड से गम्भीर रुप से संक्रमित होकर मुम्बई के अस्पताल में महिने भर भर्ती रहकर मुम्बई निवास पर लोटे बताते हैं। इसके साथ ही राजस्थान में ऐसी अनेक इबादतगाहें हैं जहां रोजाना हजारों व लाख रुपये चढावे व चंदे के रुप में आता है। वहीं ऐसी अनेक तालीमीगाहें भी हैं जिनको फीस के रुप में सालाना करोड़ों की आमद होती है। तालीमीगाहें व कोचिंग संस्थान आज सरकारी गाईडलाईन के जारी होने के बाद बंद पड़े हैं जिनके तहत चलने वाले हास्टलों को कोराना के इलाज के लिये अस्थायी तौर पर अस्पताल का रुप प्रबंध समितियों की पहल पर दिया जा सकता है।
कुल मिलाकर यह है कि कोराना द्वितीय के बाद प्रदेश में भयावह स्थिति बनने से पहले ही प्रदेश के इबादतगाह व तालीमीगाहों की प्रबंध समितियों को आगे आकर उन स्थलो को पूरे इंतजामों के साथ अस्थायी रुप से सरकारी गाईडलाईन के अनुसार सरकारी तंत्र के साथ मिलाकर अस्पताल का रुप देने पर विचार गम्भीरता पूर्वक करना होगा। साथ ही आमजन को सरकारी गाईडलाईन का पूरी तरह पालन करना होगा।


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