हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर (मप्र), NIT:
ग्वालियर चंबल अंचल में रसूख की पहचान बन चुकी बंदूक अब कुछ महीनों तक और सरकारी संदूक में ही बंद रहेगी। तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से पहले लाइसेंसी बंदूकों को थानों में जमा कराया गया था लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद भी अभी तक हथियारों को वापस करने के आदेश जारी नहीं हुए हैं जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनावों के बाद ही अब इस हथियारों को वापस किया जाएगा। अगर प्रशासन की मंशा निकाय चुनावों के बाद ही लाइसेंसी हथियारों को वापस करने की है तो एक बात तो साफ है कि नवंबर, दिसंबर और जनवरी के महीने में होने वाली शादियों में अंचल में शान का प्रतीक मानी जाने वाली बंदूक नजर नहीं आएगी और बंदूक लटकाने वाले कंधे सूने ही नजर आएंगे। हथियार न होने से हर्ष फायर भी शादियों में नहीं हो पाएंगे। ग्वालियर एसपी अमित सांघी का कहना है कि अभी तक लाइसेंसी हथियार वापस होने के आदेश नहीं आए हैं और जनवरी में नगरीय निकाय चुनाव भी होने हैं ऐसे में लाइसेंसी हथियार जनवरी के बाद ही वापस लाइसेंसधारियों को किए जाएंगे। बता दें कि नगरीय निकाय चुनाव जनवरी के अंत तक होने की संभावना है जिनकी तारीखों का एलान भी जल्द हो सकता है।
उपचुनाव में जमा हुए 95 फीसदी लाइसेंसी हथियार
ग्वालियर-चंबल अंचल के तीन जिलों में हुए उपचुनाव के चलते अंचल के 95 फीसदी लाइसेंसी हथियार थानों में जमा हैं। अगर बात अगर अकेले ग्वालियर जिले की करें तो यहां पर 31529 लाइसेंसी हथियार हैं। जिनमें से 15 हजार से भी ज्यादा हथियार देहात इलाकों के हैं। हथियारों को जमा किए हुए करीब डेढ़ महीने का वक्त गुजर चुका है और अब आगामी दो महीनों तक और बंदूकों के सरकारी संदूकों से बाहर निकलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
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