गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अम्बेडकरनगर (मप्र), NIT:

उत्तर प्रदेश के अकबरपुर समेत पूरे प्रदेश में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों के साथ अन्याय हो रहा है। प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियां नियमों के जमकर खिलवाड़ कर रही हैं। सुरक्षा के नाम पर अकबरपुर शहर मुख्यालय में भी लाखों का गोरखधंधा चल रहा है। यहां न केवल अंगूठा टेक बल्कि कई आपराधिक चरित्र के लोग भी सिक्योरिटी एजेंसी में गार्ड की नौकरी कर रहे हैं जिससे इन एजेंसियों की सेवाएं ले रहे लोगों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिह्न लग गया है। फर्जीवाड़े के इस खेल में सरकार को हर साल करोंड़ों का चूना लग रहा है लेकिन विभागीय अधिकारियों की शिथिलता की वजह से सुरक्षा की इन फर्जी दुकानों पर रोक नहीं लग पा रही है। इन्हीं कारणों से इनका गोरखधंधा वर्षों से फल-फूल रहा है।
आज मीडिया की टीम ने जब इसकी पड़ताल करने के लिए शहर के फैमिली बी मार्ट, बिग बाजार, बी मार्ट व अन्य संस्थाओं में तैनात ब्लू टाइगर सिक्योरिटी गार्ड से न्यूनतम वेतन के बारे में पूछा गया तो जानकर होश उड़ गऐ। 14,700 रुपए वेतन में केवल 7,000 रुपए और 12 घंटे ड्यूटी करने के बावजूद न्यूनतम वेतन तक मयस्सर नहीं है। मुथु फाइनेंस में तैनात प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड s&ib का भी यही हाल है। सिक्योरिटी एजेंसियां कंपनियों से तो पूरा वेतन वसूलती हैं, मगर इन गार्ड्स को सिर्फ 7,000 से 6500 का भुगतान किया जाता है साथ ही कानूनन मिलने वाली अन्य सुविधाओं जैसे पीएफ, ईएसआई, ओवरटाइम, वीकली ऑफ आदि सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है। मजे की बात है कि सैलरी स्लिप तक नहीं मिलती है। अगर कोई गार्ड सैलरी स्लिप की बात करता है तो उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है।
शहर में जितनी रजिस्टर्ड सिक्योरिटी एजेंसियां हैं उनसे कई गुना अधिक फर्जी एजेंसियों ने अपने पैर जमा लिए हैं।
कई लोगों न बताया कि इन सुरक्षा एजेंसी के रजिस्टर्ड न होने के कारण कंपनियों के द्वारा इन्हें कम भुगतान किया जाता है। जिसके कारण ये एजेंसियां गार्ड्स को कम भुगतान करती हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे खेल का खामियाजा सिर्फ गार्ड्स को भुगतना पड़ता है। ये एजेंसियां अनपढ लोगों का शोषण करने में लगी हुई हैं लेकिन विभाग अपनी आंखे मूंद कर तमाशा देख रहा है।
