बाल मजदूर की हुई जमकर पिटाई, बेरहम होटल मालिक के जुल्म का मंजर देखकर दहल गए ग्राहक, क्या वाकई होटलों पर सिसक रहा मासूम बचपन??? | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:बाल मजदूर की हुई जमकर पिटाई, बेरहम होटल मालिक के जुल्म का मंजर देखकर दहल गए ग्राहक, क्या वाकई होटलों पर सिसक रहा मासूम बचपन??? | New India Times

मामला उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले का है जहाँ शहर के तिकोनी बाग स्थित एक होटल संचालक ने नाबालिक मजदूर पर बर्तन न मांजने पर जमकर डंडे बरसाए। बाल मजदूर की दर्दनाक पिटाई का मंजर देखकर ग्राहक भी दहल गए। कई ग्राहकों ने होटल संचालक की अमानवीय कृत पर विरोध भी जताया लेकिन संचालक को तो बस मासूम श्रमिक को पीटने का जुनून सवार था। जमकर मारने पीटने से जब होटल संचालक का दिल नहीं भरा तो मां-बहन की गालियों से नवाजते हुए मासूम मजदूर को दुकान के आसपास भी न फटकने की हिदायत देते हुए दुकान के बाहर भगा दिया।

जनपद बहराइच के शहर के व्यस्तम इलाके में हो रही दर्दनाक घटनाएं भले ही समाज के लिए चिंताजनक हों लेकिन जिम्मेदारों की बेशर्मी का जीता जागता उदाहरण है। श्रम विभाग व बाल अधिकार संरक्षण इकाई समय समय पर अभियान चलाकर दिखावा भले करते रहते हो लेकिन पूरे शहर में चौक चौराहों की दुकानों पर खुलेआम बाल श्रमिक का शारिरिक मानसिक व यौन उत्पीड़न आम हो चला है जब शहर के मुख्य चौक चौराहों पर ही श्रम विभाग व प्रशासन के आला अधिकारी लगाम कसने में नाकामयाब है तो जनता को समझ लेना चाहिए कि सबकुछ सेटिंग-गेटिंग का खेल कागज के चंद टुकड़ो पर हो रहा है जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा होटल मालिको से ,बाल श्रमिकों का शोषण कराया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी आंख मूंदकर मौन स्वीकृति देकर अपनी जेब गर्म करने में लगे है,,,
जहाँ एक ओर प्रदेश सरकार बाल अधिकारों व उनके संरक्षण के लिए गम्भीर होकर सख्त कानून बना रही है तो दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी प्रदेश सरकार के सख्त निर्देशो का जमकर मजाक उड़ा रहे है।

पढ़ने और खेलने की उम्र में गरीब और लाचार परिजन उन्हें होटल संचालको को सौप देते है और इसके बाद चंद पैसों के परिश्रमिक के बदले होटल संचालक उन बच्चों का जमकर जुल्म करते है।बाल श्रम के कठोर नियमो के बावजूद अधिकारियों के संरक्षण में होटल ढाबो पर बाल मजदूरों का शोषण का खेल धड़ल्ले से जारी है।

नाम न छापने की शर्त पर पड़ोस के एक शख्स ने दबी जबान बताया कि इन होटलो को अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है गन्दगी व खाद्य सामग्रियों के रख रखाव का भी उचित प्रबंधन भी नही किया जाता है दूषित खानपान के कारण ग्राहक भी उसका खामियाजा भुगतते है। शहर भर में कई होटलों ढाबो का न तो कोई रजिस्ट्रेशन है न ही खाद्य विभाग के मानक ही पूरे है फिर भी खुलेआम ढंके की चोट पर धड़ल्ले से इनका संचालन किया जाता है उसने ये भी बताया कि एक होटलों पर कमसे कम चार पांच बाल श्रमिक रखकर पेट भर खानों को भी न देकर उनसे सुबह से ही देर रात तक कठोर कार्य कराते है।

शहर भर में खुलेआम मानक के विपरीत चल रहे ऐसे होटल संचालको पर क्यों नही जाती है खाद्य विभाग,मुख्य अभिहित अधिकारी व फ़ूड इपेक्टर जी नजर, क्यों नही होती है अवैध रूप से चलने वाले होटलों पर कार्यवाही, ये तो जिम्मेदारो की मंशा पर निभर्र करता है।प्रशासन के जिम्मेदार फिलहाल सिक्को की खनक देखकर कत्थक नृत्य करने में लगे हैं।

इस सम्बन्ध में जब हल्के के फ़ूड इंपेक्टर से दूरभाष पर बात करने का प्रयास किया गया उनका नंबर बन्द मिला।

इस सम्बंध में जब लेबर स्पेक्टर से दूरभाष द्वारा सम्पर्क साधा गया तो घंटी बजती रही लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading