जल्द होंगे एआरटीओ विभाग के भ्रष्ट चेहरे बेनकाब, विभाग द्वारा जारी लाइसेन्स में बड़ी हेराफेरी मामलों की जांच शुरू | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:

जल्द होंगे एआरटीओ विभाग के भ्रष्ट चेहरे बेनकाब, विभाग द्वारा जारी लाइसेन्स में बड़ी हेराफेरी मामलों की जांच शुरू | New India Times

यदि आपको कोई फर्जी कागजात तैयार करवाना हो तो आपको अब इधर उधर कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है आप सीधे बहराइच एआरटीओ कार्यालय का रुख कर सकते हैं। एआरटीओ कार्यालय बहराइच में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है, आलम यह है कि इस विभाग में आम को इमली और इमली को आम महज चंद कागज के टुकड़ों के बल पर बना दिया जाता है। योगी सरकार सत्ता में आई तो लगा था कि अब विभागों से भ्रष्टाचार का सूपड़ा साफ हो जाएगा लेकिन वह कहावत है ना कि तू डाल डाल मैं पात पात कुछ इसी तरीके से अपनी हठधर्मिता पर अड़े एआरटीओ विभाग के अधिकारी व कर्मचारी और साथ ही उनके सबसे बड़े सहयोगी बाहरी दलाल योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावों को लगातार ठेंगा दिखा रहे हैं। हम पिछले कई दिनों से लगातार एआरटीओ विभाग में भ्रष्टाचार की परत दर परत आपके सामने खोल रहे हैं। हमारी खबरें उजागर होने के बाद पुलक बने एआरटीओ ने एक तुगलकी फरमान भी जारी कर दिया और मीडिया की इंट्री पर एआरटीओ कार्यालय में रोक लगा दी जबकि बाहरी दलालों का प्रवेश धड़ल्ले से जारी है। आज हम आपको बहराइच संभागीय परिवहन विभाग के एक ऐसे काले कारनामे का कच्चा चिट्ठा खोलने जा रहे हैं जिसे आप देखने सुनने और पढ़ने के बाद दंग रह जाएंगे। दरअसल इस विभाग में शायद सुविधा शुल्क में मिलने वाले चंद कागज के टुकड़ों के आगे कानून कायदे कोई मायने नहीं रखते हैं। दरअसल आज हम जिस काले कारनामे की बात कर रहे हैं उसका खुलासा एक सामाजिक कार्यकर्ता की आरटीआई के द्वारा हुआ है जिसमें एआरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के घालमेल और शायद सुविधा शुल्क के आधार पर ही एक ड्राविंग लाइसेन्स मामले में विभागीये भ्रष्टाचार का राजफाश हुआ है।जल्द होंगे एआरटीओ विभाग के भ्रष्ट चेहरे बेनकाब, विभाग द्वारा जारी लाइसेन्स में बड़ी हेराफेरी मामलों की जांच शुरू | New India Times

ज्ञात हो कि सामाजिक कार्यकर्ता रोशनलाल नाविक ने संभागीय परिवहन अधिकारी/जन सूचना अधिकारी से एक जन सूचना मांगी थी। जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि एआरटीओ कार्यालय बहराइच द्वारा जारी लाइसेंस संख्या 1385/BRH/2005 पर क्या जो लाइसेंस जारी किया है वह एक व्यक्ति के नाम से है या दो व्यक्तियों के नाम पर है। अपनी जन सूचना में उन्होंने विभाग से मांगा था कि यदि उक्त नंबर पर दो व्यक्तियों के लाइसेंस हैं तो उन व्यक्तियों और उनका पता उपलब्ध कराए जाने की कृपा करें और यदि उक्त लाइसेंस संख्या पर एक व्यक्ति को लाइसेंस जारी किया गया है तो उसका नाम पता उपलब्ध कराए जाने के साथ साथ उक्त लाइसेंस संख्या 1385/BRH/2005 की प्रमाणित छायाप्रति उपलब्ध कराई जाए। श्री नाविक की जन सूचना का जवाब देते हुए संभागीय परिवहन विभाग बहराइच ने उत्तर दिया कि एक ही लाइसेंस संख्या पर दो व्यक्तियों के नाम से डीएल जारी नहीं किया जा सकता है। अपने उत्तर में विभाग ने आगे लिखा कि उक्त लाइसेंस संख्या 1385/BRH/2005 श्री बृजेंद्र कुमार मौर्या पुत्र रामचंद्र मौर्य पता आदमपुर जरवल रोड बहराइच के नाम से डीएल जारी किया गया है वहीं दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने लिखा कि लाइसेंस संख्या 1385/BRH/2005 की छाया प्रति संलग्न है। श्री रोशनलाल नाभिक द्वारा मांगी गई चल सूचना के जवाब में एआरटीओ विभाग बहराइच द्वारा लाइसेंस संख्या 1385/BRH/2005 जो छाया प्रति लगाई गई उसने विभागीय भ्रष्टाचार की कलाई खोल दी।जल्द होंगे एआरटीओ विभाग के भ्रष्ट चेहरे बेनकाब, विभाग द्वारा जारी लाइसेन्स में बड़ी हेराफेरी मामलों की जांच शुरू | New India Times

दरअस्ल आरटीआई के जवाब में तो सम्भागीये परिवहन कार्यालय बहराइच ने तो डीएल संख्या 1385/BRH/2005 जरवल निवासी बृजेन्द्र कुमार मौर्य पुत्र राम चन्द्र मौर्या के नाम से जारी होना बताया गया जबकि उक्त जनसूचना के जवाब में लगायी गयी डीएल संख्या 1385/BRH/2005 इन्दिरा नगर रिसिया बाजार निवासी राज कुमार पुत्र राम प्रगट के नाम अंकित मिला। इसके बाद श्री नाविक ने भ्रामक सूचना देने के सम्बन्ध में आयोग में अपील करते हुए पुलिस अधीक्षक बहराइच को शिकायती पत्र भेजकर भ्रामक सूचना देने और इस फर्जीवाड़े की जांच कर अभियोग पंजीकृत करने की गुहार लगाई। अप्रैल 2019 में अपील की सुनवायी के दौरान एआरटीओ प्रशासन के उपस्थित न होने पर राज्य सूचना आयुक्त ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए 19 सितम्बर 2019 को एआरटीओ प्रशासन को व्यक्तिगत रूप से तलब करने का आदेश पारित करते हुए कहा कि यदि एआर्टियो प्रशासन नियत तिथि पर उपस्थिर रहेंगे तो उन पर 25 हज़ार तक का अर्थदण्ड लगाया जायेगा। मामले ने तूल पकड़ी तो पुलिसिया जांच भी शुरू हो गयी और मिली जानकारी के अनुसार बीते दिन पुलिस ने एआरटीओ विभाग पहुंच कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है। वहीं मामले की जांच शुरू होते ही विभागिये बाबू से लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों के पसीने छूटने लगे हैं और अब सभी युद्ध स्तर पर मामले को दबाने में जुट गये हैं। सवाल यह है कि लगातार एआरटीओ विभाग में जारी भ्रष्टाचार के खुले खेल के उजागर होने के बाद भी जिला प्रशासन कोई ठोंस कदम उठाने की जहमत क्यों नहीं उठा रहा है। यह तो अभी एक मामला आपके सामने आया है हम आपको विभागीय भ्रष्टाचारी खेल की एक दूसरी बानगी अपनी अगली पोस्ट में कल देंगे जिसे जानकर भी आपके होश उड़ जायेंगे।


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