पूर्व मंत्री परसराम मोरदिया को कांग्रेस की तरफ से प्रदेश में बडे दलित नेता के तौर पर मिल सकती बड़ी जिम्मेदारी | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

पूर्व मंत्री परसराम मोरदिया को कांग्रेस की तरफ से प्रदेश में बडे दलित नेता के तौर पर मिल सकती बड़ी जिम्मेदारी | New India Times

राजस्थान के शेखावाटी जनपद के लालगढ़ नामक धोद विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव जीत कर आये पूर्व मंत्री परसराम मोरदिया को प्रदेश की कांग्रेस सियासत में बडे दलित नेता के तौर पर उभारे जाने के संकेत मिलने लगे हैं।
पहले लक्ष्मनगढ से चुनाव लड़कर विधायक बनने वाले परसराम मोरदिया को 2008 में लक्ष्मनगढ की बजाय धोद आरक्षित सीट होने पर धोद विधानसभा से चुनाव लड़ने को मजबूर होना पड़ा था लेकिन 2008 का चुनाव हारने के बाद तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने उन्हें हाऊसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा दिया एवं अब धोद से विधायक बन जाने पर राज्य सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार में उन्हें जगह मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
संगठन स्तर पर प्रदेश स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष रहने वाले परसराम मोरदिया के खासमखास राष्ट्रीय महासचिव मुकूल वासनिक को संगठन मे राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बनाने के बाद मोरदिया की बल्ले बल्ले होना माना जा रहा है। दूसरी तरफ मोरदिया के बडे पुत्र राकेश मोरदिया का कांग्रेस से आरक्षित लोकसभा सीट बीकानेर से उम्मीदवार बनना लगभग तय मानकर चल रहे है।
कुल मिलाकर यह है कि परसराम मोरदिया को राजस्थान की सियासत मे दबंग व तेज तर्रार दलित नेता के तौर पर देखा जाता है। दो अप्रैल-18 को दलित समुदाय द्वारा भारत बंद का आयोजन करने के बाद समाज का कांग्रेस की तरफ काफी हद तक झुकाव होने का फायदा विधानसभा चुनावों में मिला है। अब कांग्रेस उस समर्थन को बनाये रखने के लिये आगामी लोकसभा चुनावों में मोरदिया सहित कुछ दलित नेताओं का भरपूर उपयोग करना चाहती है।


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