वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT;
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की तहसील निघासन क्षेत्र के अंतर्गत सुथना बरसोला के पंचायत भवन में स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया गया और न ही ध्वजारोहण किया गया। ऐसे होते हैं सरकारी पंचायत भवन जहाँ किसी की भी निगाहें नहीं जाती है क्योंकि ग्रामप्रधानों को ये अच्छी तरह पता होता है कि उनका कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है। इससे पूर्व में जल निगम के पाइपों की एक घटना घटी थी जिसकी शिकायत तहसील के सभी अधिकारियों से की गई थी लेकिन किसी ने कोई कार्यवाही नहीं की थी और न ही उसकी जांच करवाई गयी। अधिकारियों का ध्यान सिर्फ प्रधानों को खुश करने में रहता है और सारी रिपोर्टें प्रधान जी के हिसाब से ऊपर भेजी जाती हैं। अधिकारी खुद कभी जनता से संपर्क नही करते अगर अधिकारी जनता से संम्पर्क करते तो उनको पता चलता की कितने लोगों से पानी के बिल लिया जा रहा है और कितना लेना चाहिये। प्राप्त जानकारी के अनुसार तकरीबन 1300 वॉटर कनेक्शन हैं और एक घर से 30 रुपये लिए जाते हैं इस हिसाब से 39000 रुपये वसूले जाते हैं और पानी के मेंटेनेंस पर कितना खर्चा होता है इसकी जानकारी किसी को प्रधान जी नही देते। पंचायत भवन के मेन जिम्मेदार प्रधान जी होते हैं।पंचायत भवन की हालत को देखकर ऐसा लगता है कि इसके रख रखाव में इतनी लापरवाही की जाती है कि समग्र ग्रामपंचायत सुथना बरसोला होने के बावजूद उसके पंचायत भवन का जब इतना बुरा हाल है तो बाकी पूरे गांव का क्या हाल होगा, इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल शायद ही कभी होता होगा जबकी इसकी गाइड लाइन ये है की ग्रामप्रधान जी को ग्रामपंचायत भवन के सारे काम इसी पंचायत भवन में बैठकर करना चाहिए जिससे पंचायत भवन की देख रेख होती रहे और और साफ सफाई होती रहे और सभी त्योहारों के मौके पर उसमें प्रोग्राम होते रहें। अब देखना यह है की जिले के उच्च अधिकारी महोदय इस पर भी कुछ संज्ञान लेगें या सिर्फ प्रधान की रिपोर्ट पर ही मोहर लगाते रहेंगे।
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