राहुल यादव, भदोही/लखनऊ (यूपी), NIT;
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त यूनिफार्म वितरण में जमकर मनमानी व राजस्व की क्षति की जा रही है। अधिकारीयो के कमीशन के चक्कर में ई-टेंडर की बजाय मैनुअल टेंडर करा कर यूनिफार्म का वितरण कराया जा रहा है। खंड शिक्षा अधिकारियों ने शासन के आदेश और मानक को पूर्व की भांति पुनः दरकिनार कर दिया है। प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को हर साल शासन की ओर से दो-दो जोड़ी यूनिफार्म मुहैया कराया जाता है। इसके लिए प्रति छात्र 400 रुपये के हिसाब से प्रत्येक जिले को बजट आवंटित किया जाता है। भदोही जिले में इस साल 1.28 लाख बच्चों के लिए अब तक 50 फीसदी धनराशि करीब तीन करोड़ जारी हो चुके हैं। शासन की ओर से तय मानक के अनुसार जिन विद्यालयों में यूनिफार्म वितरण में एक लाख से अधिक धनराशि खर्च होनी है, वहां के लिए ई-टेंडर कराना जरूरी है लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी इसका अनुपालन नहीं कर रहे। जिले में 23 स्कूलों में मैनुअल टेंडर के जरिये ही यूनिफार्म का वितरण कराया जा रहा है जबकि इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या ढाई सौ से ज्यादा है जिसमें कम्पोजिट स्कूल मामदेवपुर –508, पू0मा0वि0 चकलाला–433, प्रा0वि0 नीवीचौर–386, प्रा0वि0 भरतपुर–362, प्रा0वि0 बरवां–354 व प्रा0वि0 चकलाला–338 मुख्य रूप से हैं। अर्थात इन विद्यालयों में यूनिफार्म वितरण में एक लाख रुपये से ज्यादा धनराशि खर्च होगी लेकिन ई-टेंडर नहीं कराया गया। अधिवक्ता आदर्श त्रिपाठी ने परियोजना निदेशक, मुख्यमंत्री के पोर्टल और डीएम कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर मामले की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि खंड शिक्षा अधिकारियों ने चहेती फर्मे जो SIB जांच में मुख्य रूप से राडार पर हैं जिनका फंसना भी तय है फिर भी उनको लाभ पहुंचाने और कमीशन के चक्कर में यह गलत तरीका अपनाया जा रहा है।
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