हाशिम अंसारी/एहतिशाम बेग, सीतापुर (यूपी), NIT; संपूर्ण उत्तर प्रदेश में ही नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष में प्रतिवर्ष शराब के सेवन से हजारों मौतें हो जाती हैं और पीड़ित परिवारों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ता है। समाज में बढ़ रहे अत्याचार और आपराधिक घटनाओं के पीछे कहीं ना कहीं शराब का ही हाथ है। अपराध और शराब एक दूसरे के पूरक हैं। शराब के सेवन से दिन-ब-दिन हमारी शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, सभ्यता और परिवारों का पतन होता जा रहा है। जिस प्रकार गुजरात एवं बिहार में संपूर्ण शराब बंदी लागू की गई है उसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी तत्काल रुप से शराबबंदी को लागू किया जाए। शराबबंदी के चलते हमेशा से राजस्व हानि का जो हौवा हमारे सामने आ जाता है उसे अब किसी भी कीमत पर विचार न करते हुए तत्काल रुप से शराबबंदी को लागू किया जाए। अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि शराब के दुष्परिणाम कमजोर एवं मजदूर लोगों पर ही ज्यादा पड़ रहा है। राजनीतिक और आर्थिक रुप से संपन्न लोग इससे किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं दिखते। बड़े ही शर्म की बात है, क्या आजादी के 71 वर्ष के बाद भी हम लोग संपूर्ण शराबबंदी को लागू करने में अक्षम ही रह गए हैं।
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