अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT; मध्यप्रदेश एटीएस पुलिस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के 11 जासूसों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। पकड़े गए आईएसआई एजेंट पैरलल टेलीकॉम एक्सचेंज चलाकर देश की जानकारी को अन्य देशों में लीक कर रहे थे। यह जानकारी मध्यप्रदेश ATS चीफ संजीव समी ने आज गुरुवार को पीएचक्यू भोपाल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है। एटीएस चीफ संजीव शमी ने पकड़े गए आईएसआई एजेंट्स के बारे में जानकारी देने से फिलहाल इंकार किया है। लेकिन सूत्रों की मानें को पकड़ा गया एक आईएसआई एजेंट ग्वालियर की एक महिला पार्षद का रिश्तेदार है। जब एटीएस चीफ संजीव शमी से भाजपा पार्षद के रिश्तेदार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जब वह किसी आरोपी को पकड़े है, तो उसके बैकग्राउंड को नहीं देखते, आरोपी आखिर आरोपी ही होता है।
संजीव समी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पकड़ाए गए आईएसआई एजेंट में ग्वालियर के 5, भोपाल के 3, जबलपुर के 2 और सतना के 1, लोग शामिल हैं। संजीव शमी का कहना है कि आरोपी इंटरनेट कॉल को सेल्युलर कॉल में ट्रांसफर कर भारत देश की जानकारी पाकिस्तान एवं अन्य देशों को भेजते थे। आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए टेलिफोन एक्सचेंज ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर में मिले हैं। आरोपियों से पूछताछ जारी है।
संजीव शमी का कहना है कि बीते वर्ष 2016 के नवम्बर माह में जम्मू के थाना आरएस पुरा ने सतविंदर और दादू नामक आईएसआई एजेंट को गिरफ्तार किया था। सतविंदर द्वारा पाकिस्तान के हैंडलर्स के कहने पर सामरिक महत्व जैसे आर्मी कैंप एवं पुलों की तस्वीर और जानकारियां एकत्रित की जा रही थी। सतविंदर को इस काम के लिए सतना मध्यप्रदेश के बलराम द्वारा पैसे दिए जा रहे थे। संजीव शमी का कहना है कि बलराम, कई बैंक खातों को अलग-अलग नामों से हैंडिल कर रहा था और पाकिस्तान के हैंडलरों के बराबर संपर्क में था। संजीव शमी का कहना है कि बलराम के खातों में पैसा कई टेलीफोन एक्सचेंजों के माध्यम से आ रहा था। इन एक्सचेंजों के माध्यम से कॉलर की पहचान छिपाई जा रही थी। इसके बाद फर्जी नाम, पतों पर ली गई सिमों की आईडेंटिटी डिस्प्ले होती थी। ऐसे एक्सचेजों की आड़ में न सिर्फ हवाला और लॉटरी फ्राड जैसे कामों को अंजाम दिया जा रहा था, बल्कि पाकिस्तान के हैंडलर भी भारत में संपर्क करने के लिए इन एक्सचेंजों का उपयोग कर रहे थे। संजीव शमी का कहना है कि इन कॉल सेंटरों के माध्यम से हवाला एवं ठगी की कुछ धनराशि, बलराम के खातों में भी आती थी। इस काम में कुछ टेलीफोन कम्पनियों के जुड़े हुए लोगों की सक्रिय संलिप्तता भी प्रकाश में आई है। संजीव शमी का कहना है कि इस प्रकरण में मध्यप्रदेश के कुल 11 आईएसआई एजेंट को पकड़ा गया है। एजेंटों के पास से करीब सौ सिमें बरामद हुई हैं। संजीव शमी का कहना है कि केन्द्रीय एजेंसियां, जम्मू-कश्मीर एवं उत्तरप्रदेश की एजेंसियों के साथ काउंटर इंटेलिजेंस के संबंध में ऐसपोनेज के मामलों में जानकारी लगने पर साथ मिलकर कार्रवाईयां करेंगी।
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