शमसुद्दोहा, ब्यूरो चीफ, गोरखपुर (यूपी), NIT:

भारत सहित सम्पूर्ण विश्व आज आर्थिक संकट से गुजर रहा है। रुपया दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है और महंगाई बढ़ रही है। लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। विश्व में चारों तरफ युद्ध का माहौल है। कहीं दो देशों के बीच युद्ध तो कहीं गृह युद्ध। भारत भी आंतरिक युद्धों से जल रहा है। एक तरफ जहांँ हम बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, म्यांमार सहित दूसरे देशों के साथ सीमा पर संघर्ष झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ नॉर्थ ईस्ट में मणिपुर, नागालैंड, आसाम, सिक्किम, तो उत्तर में कश्मीर, पंजाब समेत दक्षिण के राज्यों और पूरे देश में जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा और भूमि को लेकर विभिन्न प्रकार के आंतरिक संघर्ष चल रहे हैं, जिसकी वजह से देश में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इन संघर्षों की वजह से जन, धन और वातावरण की काफी हानि हो रही है और विकास कार्य बाधित हैं। देश की तरक्की हो, अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटे और सब व्यवस्था सुचारु रूप से चले इसके लिए देश में शांति और एकता होना अनिवार्य है। यदि देश में और सीमा पर हर जगह विवाद ही रहेगा और हम उसे सुलझाने में ही उलझे रहेंगे तथा अपनी सारी ऊर्जा वहीं खत्म कर देंगे तो हमारे पास कब वक्त मिलेगा कि देश की तरक्की के लिए क्या और अच्छा कर सकते हैं, इस विषय पर विचार करें। अब वक्त आ गया है कि हम सब इस विषय पर मंथन करें और साथ आकर हर तरह के संघर्षों को दरकिनार कर राष्ट्रीय एकता, अखंडता और शांति के लिए कार्य करें क्योंकि शांति और प्रेम में ही लक्ष्मी का वास होता है, शांति से ही देश की तरक्की संभव है। उक्त बातें मानव सेवा संगठन महासचिव अक्षिता आशीष ने बताई।
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