बेजुबान पंछियों का काला खेल का दंगल लगाने वाले शख्स पर मुकदमा | New India Times

गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर (यूपी), NIT:

बेजुबान पंछियों का काला खेल का दंगल लगाने वाले शख्स पर मुकदमा | New India Times

यूपी के अंबेडकर नगर जिले में बेजुबान पक्षियों का ‘काला खेल’, का शौक पालने वाले शख़्स पर पुलिस प्रशासन की टेढ़ी नज़र ,,,बसखारी क्षेत्र में हजारों की भीड़ लगाकर बेजुबान पंछियों को लड़ने वाले शख़्स पर मुकदमा दर्ज, बेजुबान जानवर और पंछियों की हत्या करना इस शख्स का शौक़ है  दंगल में लाखों रुपए का दांव भी लगता है। अक्सर आपने देखा और सुना होगा
तीतर और मुर्गों के चोंच और पंजों को कांच से नुकीला और धारदार बनाया जाता है, जिससे कि ये तेज और गहरे घाव कर सकें. बेजुबानों को उकसा कर ये लड़ाई लड़वाई जाती है। ऐसा ही एक मामला जो गो तस्करी करने वाले और बेजुबान पंछियों को लड़ाने वाले एक शख्स के खिलाफ खबर छापने वाले पत्रकार पर महंगा पड़ गया।

बसखारी थाना क्षेत्र के किछौछा में गैर कानूनी तरीके से वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित पक्षियों को लडाये जाने का मामला वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बुलबुल तीतर मुर्गा कबूतर पक्षी संरक्षित पक्षी की श्रेणी में आता है। जिसको लड़ाये जाने की प्रतियोगिता किछौछा में बिना प्रशासनिक अनुमति के कराया जा रहा था। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ थी। बिना परमिशन के संरक्षित पशु का मुकाबले कराए जाने को लेकर स्थानीय स्तर पर पत्रकारों ने जब सोशल मीडिया पर इसकी खबर चलाई तो आयोजक ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए पत्रकार को धमकी भी दे डाली।

बताते चलें कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत प्रतिबंध पशुओं अथवा पक्षियों की लड़ाई करना गैर कानूनी है। जिसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में पशुओं की लड़ाई पर रोक लगाई थी। वही किछौछा में गैर कानूनी तरीके से पशु के लड़ाई कराए जाने का मामला जब स्थानीय पुलिस को पता चला तो मौके पर पहुंचे स्थानीय थाने की पुलिस ने आयोजन को रूकवाते हुए वहां लगे पोस्टर बैनर को अपने कब्जे में ले लिया।वहीं पत्रकार को धमकाये जाने पर पत्रकार ने बसखारी थाने पर शिकायती पत्र देकर आयोजन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिसमें,पुलिस द्वारा जांच कर आयोजन और उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ।

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