रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

प्रदूषित हवा में सांस लेना यानी तरह-तरह की गंभीर बीमारियों को न्यौता देना है। इन दिनों दिल्ली समेत भारत के कई शहर वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं और उन्ही शहरों में से एक शहर मेघनगर है, जहां की जनता शुद्ध हवा को तरस रही है। यहां शुद्ध वायु को प्रदूषित करने वाले ऐसे कई कारखाने प्रचलित हो रहे हैं जिन्हें कई राज्यों के द्वारा इन्हें प्रतिबंधित किया गया है उन्हीं में से एक प्रदूषित वायु फैलाने के साथ-साथ खतरनाक विस्फोट करने वाला प्लांट टायर रीसाइकलिंग यहां पुराने टायर को पिघालकर ऑयल बनाने वाला कारखाना मेघनगर – के औद्योगिक क्षेत्र में संचालित हो रहा है, जहां पूर्व में बड़ी आगजनी की घटना घटित हो चुकी है जिसमें बड़ी जनहानि नगर में होने से कई प्रयासों के आगजनी पर काबू पाया गया था।
इस कारखाने को गुजरात सरकार द्वारा कई वर्ष पूर्व स्थाई रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। क्योंकि इससे निकलने वाला काला प्रदूषित धूवा, काले पावडर के कण हवा में उड़ कर मुख्य आम मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों एवं आम जनता की सास नली से होकर शरीर के अंदर प्रवेश कर रहे है, जिससे अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारी होगी। नगर के चौराहों पर चर्चा आम है की गुजरात में बंद किए गए पुराने टायर को जलाकर आयल बनाने वाले इस कारखाने को संचालित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जिन निर्धारित गाइड लाइन को तैयार किया गया है उन सारे नियम कायदे को ताख में रखकर यह फैक्ट्री संचालित हो रही है। आखिर इस फैक्ट्री को संचालित करवाने में किसकी मेहरबानी बनी हुई है।
वायु प्रदूषण फेफड़ों की बीमारियों समेत लिवर और ब्लड से संबंधित रोगों का भी कारण बन सकता है। वायु प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रीयां समय रहते बंद नहीं की गई तब मेघनगर की जनता में लीवर का कैंसर, वजन कम होना, पीलिया, भूख में कमी, उल्टी होना, त्वचा पर खुजली, सांस लेने में दिक्कत, थकान महसूस होना, हाथ-पैर ठंडे होना, त्वचा में पीलापन आना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, सिरदर्द, दिल की धड़कनों अनियमित होना, जोड़ों और पेट में दर्द आदि होना लाजमी है।
वर्तमान समय में ऐसे कई मरीज मेघनगर में देखने को मिल भी रहे हैं जिन की बीमारी से वह स्वयं और उनका पूरा परिवार काफी लंबे समय से परेशानियों से जूझ रहे हैं साथ ही नगर की जनता से चर्चा करने पर जानकारी प्राप्त हुई है की मॉर्निंग वॉक या टहलने निकले तब फैक्ट्रियों से बदबूदार हवा खुले में छोड़े जाने से सांस लेने मे काफी दिक्कत आती है जिसकी वजह से टहलना भी मुश्किल है। वायु प्रदूषित करने वाली फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए कई दल, नेता, समाज सेवकों ने अपने अपने स्तर पर कई प्रयास किए किंतु अब तक ऐसी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई जिससे नगरवासी प्रदूषित वायु से बच सके। सभी नियम कायदे कानून को ताख में रखकर ये फैक्ट्री बेधड़क चल रही है।
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