कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी जलापूर्ति योजना का काम अधूरा पड़ा हुआ है, जिसके कारण गांव की जनता को पेयजल नहीं मिल पाने से गांव के लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। जलापूर्ति योजना के लिए तत्काल बिजली कनेक्शन दिए जाने की मांग को लेकर गांव के उप सरपंच वासुदेव रामभाऊ सोलंके ने बुलढाणा जिला परिषद के सामने आमरण अनशन आरंभ किया है। इस अनशन का आज का तीसरा दिन होने के बावजूद भी अब तक कोई उचित परिणाम सामने नहीं आया है। खास बात तो यह है कि यह गांव बुलढाणा जिला के पालक मंत्री तथा राज्य के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर की जन्मभूमि है और आज इसी गांव के उप सरपंच को जनता की प्यास बुझाने के लिए अनशन का मार्ग अपनाना पड़ा है जिसके कारण पालक मंत्री की भूमिका पर गांव की जनता में रोष फैला हुआ है।अनशनकर्ता उप सरपंच वासुदेव सोलंके ने जिला प्रशासन को दिए अपने ज्ञापन में बताया है कि नांदुरा तहसील अंतर्गत के ग्राम नारखेड में पिछले कुछ वर्ष पहले राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना का काम आरंभ हुआ था, जिसके लिए नए कुएं की खुदाई की गई है। ठेकेदार द्वारा इस नई पाइप लाइन के लिए इस कुएं पर बिजली कनेक्शन किया जाना अनिवार्य था किंतु अब तक ऐसा हुआ नहीं है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। गांव में पेयजल संकट के कारण महिलाओं को दूर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए तत्काल राष्ट्रीय पेयजल योजना के कुंए पर बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए ताकि ग्रामीणों को पानी मिल सके। इस मांग को लेकर विगत 16 नवंबर से बुलढाणा जिला परिषद के सामने उप सरपंच सोलंके द्वारा आमरण अनशन शुरू किया गया है। इस अनशन की अब तक कोई भी सुध नहीं ली गई है।
अनशन मंडप में मौजूद ग्रामीणों ने NIT सांवाददाता को बताया है कि जिले के पालक मंत्री पांडुरंग फुंडकर इसी नरखेड गांव में पैदा हुए हैं। पालक मंत्री की जन्म भूमि वाले गांव के उप सरपंच का अनशन पर बैठना पालक मंत्री की कार्य क्षमता पर सवाल खड़े कर रहा है।
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