फैज़ान खान, गुरुग्राम/नई दिल्ली, NIT:
चुनाव महापर्व का खुमार राजनीतिक दलों, आम जनता और लोकतंत्र के लिए ही नहीं बल्कि उनके लिए भी महत्वपूर्ण है जो सीधे राजनीति से सम्बंध नहीं रखते बल्कि राजनीति को कभी भी बदलने की क्षमता रखते हैं। ऐसे ही एक कद्दावर नेता हैं नवाब सतपाल तंवर जो दलित समाज से आते हैं और गुरुग्राम लोकसभा की बादशाहपुर विधानसभा में गांव खांडसा के निवासी हैं। माना जाता है कि भीमसेना चीफ सतपाल तंवर क्षेत्र ही नहीं बल्कि देश की राजनीति को भी बदलने की क्षमता रखते हैं।
क्षेत्र के दलित समाज में उनका अच्छा-खासा रसूख है। हालांकि तंवर देश के किसी ना किसी कोने में आक्रामक तौर पर शोषण के खिलाफ आवाज उठाते देखे जा सकते हैं लेकिन लोकतंत्र के इस महापर्व में भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर ने भी अपने पैतृक गांव खांडसा में आकर मतदान करके लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाया। गांव के राजकीय वरिष्ठ शिक्षा विद्यालय के बूथ नंबर 262 पर वे भीड़भाड़ से अलग मतदान के आखिरी शाम के समय वोट डालने के लिए पहुंचे।
इस दौरान सतपाल तंवर ग्रामीणों की तरह बहुत सादे लिबास में सफेद तौलिया गले में डाले नजर आए। इस दौरान उनकी पत्नी निशा तंवर एडवोकेट, उनके पिता जी और परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ नजर आए। बताया गया कि भीम सेना के मुखिया बिना किसी सुरक्षा के बिलकुल गांव के सादे लिबास में मतदान केंद्र पहुंचे और वहां मौजूद लोगों और सुरक्षाकर्मियों का सतपाल तंवर ने हाथ हिलाकर अभिवादन किया। उन्होंने एक दूसरे का हालचाल पूछा। इस दौरान भीम सेना के प्रमुख सतपाल तंवर ने कहा “मेरा वोट संविधान बचाने की ओर।” वोट डालने के बाद सतपाल तंवर तुरंत निकल गए।
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