बिजली का स्मार्ट घोटाला, प्रीपेड बिजली मीटर के लिए प्रोसेस में है 27 हजार करोड़ का टेंडर, कोल कांड का पर्दाफाश | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

मोदी सरकार द्वारा भारत की सार्वजनिक बिजली वितरण प्रणाली संबंधी अगस्त 2021 में किए गए कानून के तार फाइनेंशियल टाईम्स की रिपोर्ट के बाद अब गौतम अडानी से जुड़ रहे हैं। Financial Time’s ने अपनी खोजी रिपोर्ट में बताया है कि अडानी ने इंडोनेशिया से जो खराब गुणवत्ता वाला कोयला उठाया उसको ऊंचे दर्जे का बताकर भारत सरकार को बेचा और सरकार की तिजोरी से हजारों करोड़ रुपया लुटा। इसी अडानी को महाराष्ट्र सरकार ने स्मार्ट बिजली मीटर का करीब 13 हजार 888 करोड़ का टेंडर देने का फैसला किया है। 20 KW/27 hp से कम बिजली खपत के तमाम जगहों पर समूचे भारत में 22 करोड़ 23 लाख स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगवाए जाने है। महाराष्ट्र में 2 करोड़ 65 लाख मीटर लगाने के लिए 39 हजार 65 लाख रुपए खर्च होंगे।

अगस्त 2023 में ऊर्जा मंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कुछ टेंडर जारी कर दिए हैं। कोंकण कल्याण क्षेत्र में 63 लाख 44 हजार 66 मीटर लगाने के लिए 7 हजार 594 करोड़ रुपए का टेंडर गौतम अडानी को दिया गया है। बारामती पुणे क्षेत्र में 52 लाख 45 हजार 917 मीटर के लिए 6 हजार 294 करोड़ का टेंडर गौतम अडानी को दिया गया है। नाशिक जलगांव क्षेत्र में 28 लाख 86 हजार 622 मीटर के लिए 3 हजार 461 करोड़ रुपए का टेंडर नागार्जुन कंस्ट्रक्शन हैदराबाद को दिया गया है। लातूर नांदेड़ औरंगाबाद क्षेत्र 27 लाख 77 हजार 759 मीटर के लिए 3 हजार 330 करोड़ रुपए का टेंडर मोंटेक अरलो कंपनी को दिया गया है। चंद्रपुर गोंदिया नागपुर 30 लाख 30 हजार 346 मीटर के लिए 3 हजार 635 करोड़ का टेंडर Genus कंपनी को दिया गया है।

अकोला अमरावती क्षेत्र में 21 लाख 76 हजार 636 मीटर के लिए 2 हजार 660 करोड़ इस प्रकार से 2 करोड़ 24 लाख 61 हजार 346 स्मार्ट मीटर के लिए 26 हजार 923 करोड़ रूपए मंजूर किए जाने हैं। एक मीटर की लागत 12 हजार रूपए आंकी गई है, 60% अनुदान केंद्र सरकार देगी 40% पैसा राज्य बिजली बोर्ड को ऋण उठाकर स्मार्ट मीटर ठेकेदारों को चुकाना होगा। गौतम अडानी को कुल 13 हजार 888 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया है जिसमें बारामती जोन का 3300 करोड़ रुपया रिलीज़ किया जा चुका है। राज्य में दो लाख स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर बिठाए जा चुके हैं। स्मार्ट मीटर सिस्टम ग्राहक संरक्षण कानून से बाहर होगा। इस सिस्टम से बिजली उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होगा और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की कटौती की जाएगी। सितंबर 2024  में होनेवाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में स्मार्ट बिजली मीटर का विषय प्रमुख मुद्दा बनकर उभर सकता है।


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By nit

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