राजस्थान में कांग्रेस को गठबंधन का मिल सकता है बड़ा फायदा, माकपा के कामरेड अमरा राम व रालोपा के हनुमान बेनीवाल का चुनाव लड़ना कांग्रेस उम्मीदवारों को दे रहा है बड़ा लाभ | New India Times

अशफ़ाक़ क़ायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:

राजस्थान में कांग्रेस को गठबंधन का मिल सकता है बड़ा फायदा, माकपा के कामरेड अमरा राम व रालोपा के हनुमान बेनीवाल का चुनाव लड़ना कांग्रेस उम्मीदवारों को दे रहा है बड़ा लाभ | New India Times

कांग्रेस द्वारा गठित इण्डिया गठबंधन में राज्य स्तर पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के शामिल होने पर किसान नेता हनुमान बेनीवाल व माकपा के कामरेड अमरा राम के नागौर व सीकर से चुनाव लड़ने से खासतौर पर जाट बेल्ट में कांग्रेस उम्मीदवारों को काफी लाभ मिलता नज़र आने लगा है। 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पच्चीस की पच्चीस की सीट मिलने का सीलसीला अब 2024 के चुनाव में टूटने की सम्भावना जताई जा रही है। अभी तक पहले राऊंड की सीटों पर प्रचार शुरु हुआ है।

वही दुसरे राऊंड की सीटों पर नामजदगी का पर्चा भरने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। लेकिन सभी जगह मतदाताओं का मन भांपने में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। भाजपा विरोधी मतदाता खुलकर मुखर होकर सामने नजर आ रहा है। गंगानगर, बीकानेर, चूरु, व नागौर सीटों पर माकपा से गठबंधन से कांग्रेस व रालोपा उम्मीदवारों को फायदा मिल रहा है। वही सीकर से माकपा उम्मीदवार कामरेड अमरा राम को कांग्रेस व रालोपा से सीधी मदद मिल रही है। रालोपा के हनुमान बेनीवाल स्वयं नागौर से चुनाव लड़ रहे हैं। पर उनकी पार्टी के जनाधार का कांग्रेस उम्मीदवारों को मारवाड़, बीकाणा व शेखावाटी में बड़ा फायदा मिलता नज़र आ रहा है।

कृषि आधारित किसान बिरादरियों का दस साल के बाद पहली दफा इण्डिया गठबंधन के पक्ष में लामबंद होना। एवं इनके साथ एससी-एसटी व अल्पसंख्यक मतदाताओं का जुड़ना चुनाव परिणाम आने का संकेत दिखलाता है। किसानी व अग्निवीर व विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी व उनपर ईडी व सीबीआई के छापे पड़ने सहित अनेक प्रमुख मुद्दों पर मतदाताओं में चर्चा होती देखी जा रही है। पहले के मुकाबले मोदी लहर की चर्चा कुछ खास तबकों तक सीमित है। जबकि किसानों में उनसे जुड़े मुद्दे काफी प्रखरता से उछल रहे हैं।

इण्डिया गठबंधन बनने से भाजपा विरोधी मतों का बिखराव रुकने व इस गठबंधन के नेताओं की एकजुटता से इनके उम्मीदवारों को काफी लाभ मिल रहा है। राजस्थान में चुनाव भाजपा व इण्डिया गठबंधन में कड़ा संघर्ष होता नज़र आयेगा। श्रीगंगानगर, चूरु, झूंझुनू, सीकर, नागौर, बाडमेर व सीट पर गठबंधन इक्कीस नजर आने लगा है। जालोर-सिरोही, पाली, व जोधपुर में कांग्रेस मुकाबले में है। इसी तरह अलवर, भरतपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर व करोली-धोलपुर सीट पर कांग्रेस इक्कीस नजर आ रही है। कोटा-बूंदी सीट पर मुकाबला नजर आता है। चित्तौड़गढ़, जयपुर, बारां-झालावाड़, भीलवाड़ा, बीकानेर मे भाजपा मजबूत है। जयपुर ग्रामीण की सीट यादव मतों पर निर्भर करेगी।

कुल मिलाकर यह है कि 2014 व 2019 के मुकाबले इन चुनाव में मोदी लहर कमज़ोर नज़र आ रही है। इसके विपरीत कांग्रेस पहली दफा इकठ्ठा दिखाई दे रही है। माकपा व रालोपा से गठबंधन होकर एक एक सीट इन दलों को मिलने से गठबंधन के उम्मीदवारों को सभी जगह फायदा मिलता नज़र आ रहा है। पच्चीस में से दो तीन सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर बराबर का मुकाबला होगा। गठबंधन की दो अंकों में सीट आने की सम्भावना जताई जा रही है। अनेक मुद्दों को लेकर जाट-यादव-गूर्जर व मीणा मतों का बड़ी मात्रा में गठबंधन की तरफ लामबंद होने के साथ दलित व अल्पसंख्यक मतदाताओं का झुकाव भी गठबंधन की तरफ नजर आ रहा है। रानी वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री नहीं बनना भी भाजपा पर विपरीत प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है। स्वर्ण मतदाताओं का झुकाव भाजपा की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। परिणाम चाहे कुछ भी आये पर वर्तमान में प्रदेश में मुकाबला बराबरी का होता दिखाई दे रहा है। पच्चीस में से एक मात्र बाडमेर-जैसलमेर सीट पर कांग्रेस के उम्मेदाराम व निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी के मध्य मुकाबला हो सकता है।


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