खजूर की डालियां हाथ में लेकर समाजजनों ने पाम संडे पर निकाला जुलूस | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/पंकज बडोला, झाबुआ (मप्र), NIT:

रविवार के दिन से ईसाई समुदाय पुण्य सप्ताह मनाने की तैयारी करता है। इस सप्ताह में समाजजन एक जगह एकत्रित होकर मुख्यतः ईसा मसीह के पावन दुःख भोग, क्रुस पर मृत्यु एवं पुनरूत्थान द्वारा मावन मुक्ति इतिहास की यादगार मनाते हैं। पुण्य सप्ताह, खजुर रविवार से शुरू होकर पास्का महोत्सव पर समाप्त होता है। खजुर रविवार के बाद पुण्य बृहस्पतिवार अर्थात वह दिन जब ईसा ने अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोजन किया तथा प्रेम व सेवा करने की आज्ञा दी।

पुण्य शुक्रवार अर्थात वह दिन जब ईसा का कु्रस मरण की आज्ञा दी जाती है और पुण्य शनिवार अर्थात वह दिन जब ईसा की मृत्यु पर शोक मनाया जाता है रविवार को प्रभु के दुःख भोग या खजुर रविवार कहा जाता है। रवीवार के दिन प्रभु येसु अपने दुःख भोग के पहले येरूसालेम में प्रवेश करते है। येरूसालेम में एक ऐसा स्थान था जहां पर येसु लोगों को शिक्षा देते थे। उनके येरूसालेम में प्रवेश करने पर लोगों ने चादरों को बीछाकर और खजुर की डालियां हिला-हिला कर, यह कह कर येसु का स्वागत करते है। दाउद के पुत्र को होसान्ना, अथवा होसान्ना….. होसान्ना, होसान्ना…।

इसी महान विजय यात्रा को यादगार मनाने के लिए ईसाई समुदाय रविवार को न्यू कैथोलिक मिशन स्कूल प्रांगण में एकत्रित हुए जहां याजकों द्वारा विशेष प्रार्थना करने के साथ खजुर की डालियों को आशीष दी गई। आशीष पश्चात समाजजन हाथों में खजुर की डालियां लिए हौसान्ना, हाल्लेलुया के नारे लगाते हुए स्थानीय चर्च प्रांगण पहुंचे जहां याजकों द्वारा विशेष प्रार्थनाएं की गई। लोग खजूर की ये डालियां बाद में अपने साथ घरों में ले गए। आयोजनों के तहत शुक्रवार को गुड फ्राइडे पर्व मनेगा और आने वाले रविवार को ईस्टर संडे। इसके साथ ही 40 दिनों से चले आ रहे उपवास और चालीसा के आयोजन भी खत्म होंगे।

इस अवसर पर श्रद्धेय फादर थोमस पी.ए. कैथोलिक डायोसिस के विकार जनरल ने अपने प्रवचन में कहा ईसा मसीह की येरूसालेम में विजय यात्रा हमारी विजय है। येसु के अनुयायियों ने येसु को राजा माना उनके प्रेम और सेवा के राज्य को स्वीकार किया। हमें भी घृणा के प्रेम करना और जरूरतमंदों की सेवा करते रहना चाहिए। उन्होनें कहा यह सप्ताह प्रार्थना करने का और ईसा की दुख भरी कु्रस यात्रा में शामिल होने कि तैयारी करने का भी समय है। क्योकि कुृस ही ईसा मसीह की मृत्यु पर विजय होने का प्रतिक है।

घटना का वाचन मुख्य याजक फादर थोमस पीए, फादर इम्बानाथन और फादर लुकस डामोर द्वारा किया गया। मिस्सा अनुष्ठान के अंतिम भाग के बाद सभी लोगों ने चुनाव में पूर्ण मतदान करने की शपथ ली। मिस्सा अनुष्ठान के लिए मुख्य याजक फादर थोमस पीए, फादर प्रताप बारिया, फादर अंतोन कटारा, फादर जॉनसन, फादर इम्बानाथन, फादर लुकस तथा फादर प्रकाश उपस्थित थे। अगुवाई जेरोम वाखरा, आनंद खडीया, बेन्जामिन निनामा, लेवनार्ड वसुनिया, मधु बारिया, शिफा सिंगाडिया, सुशीला सिंगार, सुधीर मंडोडिया सोनु हटीला द्वारा किया गया। सुमधुर संगीत युवा संघ द्वारा गाये गए।

अंत में आभार फादर प्रताप द्वारा माना गया। 29 को निकलेगी क्रूस यात्रा मंगलवार और गुरुवार को भी आयोजन होंगे। गुरुवार को मिस्सा अनुष्ठान में प्रभु के उस कार्य को याद किया जाता है जिसमें उन्होंने अपने शिष्यों के पैर धोए थे। मुख्य याजक बारह वरिष्ठ लोगों के पैर धोते और उन्हें चूमते हैं। यह घटना हमें संदेश देती है कि प्रभु येशु सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने में विश्वास रखते हैं। शुक्रवार को क्रूस यात्रा निकाली जाएगी। क्रूस को 14 अलग-अलग लोगों द्वारा ढोया जाता है। 14 विश्रामों पर दुखभोग की याद की जाती है। 3 बजे प्रभु ख्रीस्त की मृत्यु का समय है। उस समय महाप्रार्थनाएं होती हैं। यही एक दिन है, जिस दिन मिस्सा अनुष्ठान नही किया जाता है। उक्त जानकारी वैभव खराडी ने दी।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading