नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

भाजपा के राष्ट्रिय महासचिव विनोद तावड़े ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट से महाराष्ट्र बिहार यह दोनों राज्य गायब है। भाजपा का असली गेम इन्हीं दोनों राज्यों मे फंस चुका है। इन राज्यों में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बड़ा दल हो कर भी सहयोगी दल है। 5 मार्च को अमित शाह महाराष्ट्र के जलगांव में पधार रहे हैं। यकीनन वो यहां जलगांव और महाराष्ट्र के उम्मीदवारों के बारे में कोई न कोई संकेत देंगे। उत्तर महाराष्ट्र में कुल 6 सीटे हैं, जलगांव में 2 इसमें रावेर इस लिए हेविवेट है क्योंकि यहां से भाजपा पार्टी संगठन को हर संकट से उबारने का वरदान रखने वाले गिरिश महाजन को लोकसभा का प्रत्याशी बनाए जाने की जनता की मांग है। आज की भाजपा में गिरिश महाजन को प्रमोद महाजन के बराबर देखा जाता है। जलगांव की दोनों सीटो से वर्तमान सांसदों के टिकट कटने तय बताया जा रहा है। पहली सूची में पार्टी ने 32 मंत्रियों को टिकट दिया है अगली लिस्ट में महाराष्ट्र और बिहार की राज्य सरकारों में शामिल मंत्रियों को टिकट मिलना है।
हार के डर से नेता बन रहे प्रभारी-श्री राम जी का आशीर्वाद, नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले हजारों करोड़ रूपए के चंदे के बलबूते 400 का टारगेट फिक्स कर चुकी भाजपा में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो हारने के डर से खुद लोकसभा का चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं। ये नेता उनके प्रभार में लक्ष्मी के प्रभाव से भाजपा की सीटों को जितवाने की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं। चुनाव निरिक्षक प्रभारी चुनना यह हर राजनीतिक दल में जीत को मुकम्मल करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। भाजपा की ओर से जिन नेताओं को निरीक्षक बनाया जा रहा है क्या वो व्यक्तिगत तौर पर किसी सीट से चुनाव लड़ने के लिए बाध्य नहीं हैं? अथवा चुनाव लड़ने से बच रहे हैं? या फिर मनोनित किए हुए इन प्रभारियों को भी चुनाव लड़ना पड़ेगा? ऐसे तमाम सवालों के जवाबों को जानना हर वोटर की उत्कंठा का विषय बना हुआ है।
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