सिंहस्थ कुंभ 2015-2016: अप्रिय घटना की प्रतीक्षा में श्री कपालेश्वर का प्रवेशद्वार, रामकुंड पर लगाए गए बैरिकेटस, क्यों? नहीं करवाया जा रहा मंदिरों का पुन: निर्माण | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

त्र्यंबक नगरी में साधुओं के अखाड़ों का आंखों देखा हाल कलमबद्ध करने के बाद NIT ने त्र्यंबकेश्वर शहर के बुनियादी ढांचे में विकास को लेकर बरती गई लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया। नासिक रोड रेलवे स्टेशन से त्र्यंबकेश्वर तक के सफ़र में हमने महसूस किया कि यहां के बाशिंदों पर नेताओं की ओर से कि गई अन्याय यात्रा बेहद दर्दनाक है। भाजपा नेताओ ने नासिक को कुंभ के कारण फंड से भरे कलश के अलावा कुछ नहीं समझा। जनवरी में New India Time’s की ओर से की गई ग्राउंड रिपोर्ट्स के बाद हमने फिर पंचवटी का रुख किया। रामकुंड को बड़े बड़े टीन के बैरिकेट्स से बंद कराया गया है।

भाविको को कर्मकांड धार्मिक विधी के लिए गाडगे बाबा ब्रिज की ओर जाना पड़ रहा है। रामकुंड के ठीक सामने श्री कपालेश्वर महादेव मंदिर है जिसका प्रवेश द्वार इतना जर्जर हो चुका है कि किसी भी समय अप्रिय घटना घट सकती है। गोदाघाट पर एकमात्र श्री कालाराम मंदिर है जो सुस्थिती में है, शेष बचे सैकड़ों साल आयु के तमाम मंदिरों की मरम्मत भी नहीं करवाई गई, नवीनीकरण तो बहुत दूर की बात है।

हर बारा साल में सिंहस्थ कुंभ के लिए सरकारी खजाने से प्राप्त और खर्च किया गया सैकड़ों करोड़ों रूपए का फंड आखिर गया कहां ? कुंभ के फंड्स से पे एंड यूज की तर्ज पर मुहैय्या कराई आवश्यक सेवाओं ने पंचवटी और त्र्यंबकेश्वर में नेताओं के हितों को साधती महंगी ठेकेदार संस्कृति को जन्म दिया है जो श्रद्धालुओं का आर्थिक शोषण कर रही है। नासिक में भाजपा के तीन विधायक हैं, विधानसभा के चुनाव में नासिक मध्य और नासिक पूर्व – मध्य यह दो सीटें उद्धव ठाकरे के पाले में जानी तय है।

पता नहीं क्यूं पर विपक्ष के चुनावी एजेंडे से सिंहस्थ कुंभ का विषय गायब है। सिंहस्थ कुंभ 2026-2027 के लिए सरकार ने कमर कस ली है, कमेटियां तक घोषित कर दी गई है। आम लोग आशा कर रहे हैं कि आने वाले तीन सालों में रामकुंड गोदाघाट पर बसे सभी पूराने मंदिरों का पुन: निर्माण कराया जाएगा।


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By nit

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