सिंहस्थ 2015-2016 : गिरनारी पर्वत के साथ-साथ सारे के सारे अखाड़ों के निर्माण कार्य अधूरे, किसके जेब में गया प्रबंधन का सैकड़ों करोड़ों रूपया | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सिंहस्थ 2015-2016 : गिरनारी पर्वत के साथ-साथ सारे के सारे अखाड़ों के निर्माण कार्य अधूरे, किसके जेब में गया प्रबंधन का सैकड़ों करोड़ों रूपया | New India Times

“हम सन्यासी है जहां शिव हैं वहां हम वास करते हैं, बरसों से कुंभ में आते रहे हैं ये विकास बिकास क्या होता है वो उसके जानने वाले जाने ” गिरनारि पर्वत के ऊपर दत्त मंदिर के सानिध्य में अखाड़ों के उत्तम पुनर्वास के नाम पर बनाई गई इमारतों में रहने वाले एक साधु की इस वाणी से राजनीति के प्रति उनके संप्रदाय की नाराज़गी साफ़ झलक रही थी। पिछली रिपोर्ट में हमने आपको त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में सिंहस्थ कुंभ 2015 – 2016 में 800 करोड़ रूपए से कराए निर्माण कार्यों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया। इस रिपोर्ट में हम अखाड़ों की बात करेंगे, गिरनारी पर्वत पर बने निलांबिका और मतम्बा देवी मंदिर के ठीक बगल में श्री राधा सरस्वती आश्रम श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा और भुरवार – चार मढ़ी अखाड़ा है दोनों इमारतों का निर्माण आधा अधूरा छोड़ दिया गया है। छोटे वाहनों से पर्वत चढ़ने के लिए JCB से पहाड़ी को काटकर घाटनुमा कच्चा रास्ता बनाया है। पैदल चलने वालों के लिए वही एक एक दो दो फिट ऊंची मोटी परत वाली पुरानी सीढ़िया हैं।

सिंहस्थ 2015-2016 : गिरनारी पर्वत के साथ-साथ सारे के सारे अखाड़ों के निर्माण कार्य अधूरे, किसके जेब में गया प्रबंधन का सैकड़ों करोड़ों रूपया | New India Times

श्री राधा सरस्वती की निवासी इमारत के नीव को डाबर और फिर कांक्रीट में उठाया गया है। गगन चुंबी डमरू त्रिशूल स्तंभ के पीछे बने कार्यालय एवं भुरवार – चार मढ़ी अखाडे की दूसरी तीसरी मंजिल ताश के पत्तों की तरह सीमेंट कॉलम से खड़ी कर दी गई है जिसमें दीवारें नहीं है। अखाड़ों के आसपास जितने भी सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं वो भूतिया खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अखाड़ों से निकलने वाले मल मूत्र के निकासी पाइप ढलान पर लाकर बड़ी बेशर्मी से खुले छोड़ दिए हैं। पास में बने अन्नपूर्णा देवी मंदिर का आस्तित्व दरकती हुई चट्टान के कारण खतरे में है। गिरनारी पर बने तमाम निर्माणों के बाहर आपको सिंहस्थ कुंभ 2015-16 की दुर्लभ कोनशिलाएं देखने को मिलेगी।

सिंहस्थ 2015-2016 : गिरनारी पर्वत के साथ-साथ सारे के सारे अखाड़ों के निर्माण कार्य अधूरे, किसके जेब में गया प्रबंधन का सैकड़ों करोड़ों रूपया | New India Times

बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन की हमारी अपनी समझ और जानकारों की रायशुमारी के मुताबिक अकेले त्र्यंबकेश्वर में सिंहस्थ कुंभ में मात्र 100 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं लेकिन यही रकम ऑन रेकॉर्ड 250 करोड़ बताई गई है। ज्ञात हो कि कुंभ के आयोजन प्रबंधन को दो फेज में बाटा जाता है एक त्र्यंबकेश्वर और दुसरा पंचवटी। हो सकता है कि बजट का आंकड़ा 800 से कही अधिक भी रहा होगा। इतना पैसा खर्च करने के दस साल बाद त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में बदहाली क्यों है? आखिर फंड का पैसा कमीशन के रूप में किस किस की जेब में गया। जनता सवाल पूछ रही है और नेता कुंभ में ठेकों के जरिए कमाया काला धन बचाने के लिए अपने बड़के राजनेता के इशारे पर भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सत्ता की शरण में जा रहे हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading