रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/पंकज बडोला, झाबुआ (मप्र), NIT:

मेघनगर सूरत ऐतिहासिक चतुर्मास के पश्चात बदनावर की और विहार के दौरान दीक्षा प्रदाता धर्मदास गण नायक बुद्धपुत्र प्रवर्तक देव पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म सा आदि ठाणा 6 अणुस्वाध्याय भवन पर विराजित होकर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए फरमाया की जीव भाव भ्रमण कर रहा है अभी तक हमने अनंत भाव भ्रमण कर लिये अब जागने का समय आ गया है अब नही जागोगे तो कब जागोगे शुभ भाव आये तो उसे तरंग रूप से ध्यान रूप मे परिवर्तित करना होगा आलस्य ओर प्रमाद मे अंतर होता है आलसी ये सोचता है उसका कार्य दूसरा कर दे ओर प्रमादी कार्य करता तो है पर उसे कल पर टालता रहता है जिनेश्वर देव ने मोक्ष जाने का अंतिम भाव साधुपना ग्रहण करना बताया है श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ सु श्रावक हंसमुखलाल वागरेचा का संथारा सहित देवलोक गमन हो गया।

जैन धर्म के अनुसार अंतिम मनोरथ पुर्ण करना श्रेष्ठ मना जाता है हंसमुखलाल ने अपने जीवन मे साधु संतो की वैयावाच एवं परोपकार के साथ मानव सेवा के अनेक आयोजन किये समय समय पर दान के कार्य किये जिसके चलते उन्हे अंतिम मनोरथ श्रेष्ठ समाधी मरण प्राप्त हुआ जिनकी संथारा अनुमोदना का आयोजन रविवार को शुभ ज्वैलर्स वागरेचा परिवार मेघनगर द्वारा महावीर भवन पर होगा प्रभावना अणु जिनेन्द्र कृपा मंडल द्वारा वितरित की गई स्वामी भक्ति का लाभ वागरेचा परिवार ने लिया संचालन विपुल धोका ने किया।
