मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव की ताजपोशी | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

परिवर्तन संसार का नियम है मध्य प्रदेश में भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश में सत्ता प्राप्ति के बाद नेतृत्व परिवर्तन कर सरकार के मुखिया शिव राज सिंह चौहान को 17 साल बाद अलविदा कर दिया है। विधायक दल के नेता, मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में बाबा महाकाल की नगरी के 58 साला सपूत एवं उज्जैन दक्षिण के भाजपा विधायक, बीजेपी का ओबीसी चेहरा एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्री परिषद में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉक्टर मोहन यादव की ताजपोशी की घोषणा केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षकों एवं प्रदेश भाजपा के प्रथम पंक्ति के शीर्ष नेताओं में श्री नरेंद्र सिंह तोमर, श्री कैलाश विजयवर्गीय एवं प्रहलाद पटेल सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा की उपस्थिति में विधायक दल की बैठक में संपन्न हो चुकी है।

विधायक दल की बैठक में नवीन नेता के चुनाव के साथ ही निवृत्तमान हो रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना त्यागपत्र महामहिम राज्यपाल को प्रस्तुत कर दिया। साथ ही विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता एवं नव नियुक्त मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने केंद्रीय नेतृत्व के साथ राज्यपाल से मुलाकात करके ने अपना दावा राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति भी कर दी है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में संपन्न हुई विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षकों ने अपने संबोधन में आला कमान की भावना और मंशा से विधायकों को अवगत कराया। वहीं नए नेता के नाम का प्रस्ताव स्वयं सेवानिवृत हो रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रस्तुत किया। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आरएसएस सहित आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले सहित केंद्रीय गृहमंत्री की पसंद के बताए जाते हैं।

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रदेश के लगभग आधा दर्जन नेता प्रबल दावेदार थे। जिन में वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वी डी शर्मा के नाम काबिले ज़िक्र रहे हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने में प्रदेश में जो कुछ राजनैतिक घटनाक्रम घटित हुआ, वह प्रदेश की जनता ने देखा है। हालिया विधानसभा चुनाव को भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में संपन्न तो कराया लेकिन भाजपा की ओर से किसी चेहरे को सीएम के रुप में आगे नहीं बढ़ाया। जिस से भी इस बात का अंदाज़ा बखुबी लगाया जा सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान को साइड लाइन करने की मंशा रखता है। वहीं अनेक आम सभाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री ने प्रदेश की चुनावी सभा में अपने नाम की गारंटी दे कर जनता से भाजपा को वोट देने की अपील की।

शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा प्रदेश में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं और लाडली बहनों को दिए जा रहे आर्थिक लाभ के साथ प्रधानमंत्री की गारंटी के नतीजे में भाजपा को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ और इस बार फिर कांग्रेस मध्य प्रदेश में पीछे रह गई। विगत कुछ माहों से सियासी हलकों में यह चर्चा हो रही थी कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच कुछ अंदरूनी अनबन या टसल है, जो ज़ाहिर नहीं हुई। विधान सभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने अपनी रणनीति के तहत प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन नहीं करना ही पार्टी के हित में था। और अब चूंकि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो चुका है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से अलग करना और नए नेतृत्व को तैयार करना भाजपा आला कमान की एक सोची समझी और सुनियोजित सियासी रणनीति का हिस्सा है। यदि विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर नेतृत्व परिवर्तन किया जाता तो ऐसी स्थिति में भाजपा को नुकसान होने का अंदेशा था। इसलिए केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव तक बरक़रार रखा गया।

सियासी गलियारों में चर्चा थी कि मध्य प्रदेश में भी गुजरात का फार्मूला इस्तेमाल होगा और पार्टी की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री के रूप में नए चेहरे में एक अनजान की घोषणा करके पार्टी ने आम आदमी सहित सबको चौंका दिया है। हालांकि नेतृत्व परिवर्तन ने इस की स्क्रिप्ट दिल्ली में पहले ही लिख चुकी थी। बस एक वैधानिक औपचारिकता पूरी करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व द्वारा केंद्रीय ऑब्जर्वर को भेज कर यह फॉर्मेलिटी अंजाम दी गई। मुख्यमंत्री के रूप में 17 साल की लंबी पारी के बाद शिवराज सिंह चौहान के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में उनकी कैबिनेट के एक मंत्री एवं आर एस एस सहित केन्द्रीय नेतृत्व की पसंद डॉक्टर मोहन यादव की नियुक्ति मध्य प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। निवृतमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव 2023 में प्रचंड बहुमत के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव की तैयारी भी प्रारंभ कर दी थी और उनका लक्ष्य 29 लोकसभा की सीट जीतने का था। नवनियुक्त मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को प्रदेश की और राजनीतिक व्यवस्था समझने में थोड़ा समय लगना स्वाभाविक है। वहीं समय अभाव के चलते आगामी लोकसभा चुनाव भी नव नियुक्त सीएम के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।

नए मुख्यमंत्री के रूप में वे आगामी लोक सभा चुनाव में बीजेपी को कितनी सीटें दिलाने में कामयाब होते हैं और शिवराज सिंह चौहान की योजनाओं को जन-जन तक कैसे पहुंचाएंगे ? यह सब आने वाला समय बताएगा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई गई जन कल्याणकारी योजनाओं पर अमल करने से और योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचने से ही नवनियुक्त मुख्यमंत्री को सफलता प्राप्त होगी। वही प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साइड लाइन करने से भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि किसी भी पार्टी का संगठन चट्टान के समान होता है और संगठन में जो लोग बैठे होते हैं वह सभी कुशाग्र बुद्धिजीवी होते हैं। वे संगठन, राष्ट्र और जनता के हितों को देखते हुए फैसला करते हैं। मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का यह फैसला भी इसी कड़ी में किया गया है। इस फैसले की क्या दूरगामी परिणाम होंगे यह आने वाला समय बताएगा।


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