रामायण और भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए: पंडित मिश्रा | New India Times

अब्दुल वाहिद काकर, विशेष प्रतिनिधि, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जलगांव विशेष प्रतिनिधि वाहिद काकर शुक्रवार को कथा के चौथे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि अब तक हमारे बच्चों ने औरंगज़ेब और बाबर का इतिहास पाठ्यक्रम की
पुस्तकों में पड़ा है। जब भी पूरी क्षमता से सरकार बने उस समय पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत भागवत गीता को शामिल किया जाए ताकि नई पीढ़ी को ज्ञात हो कि श्रीराम, श्रीकृष्ण कौन थे। इस तरह का अनुरोध उन्होंने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी का नाम न लेते हुए किया है।

शिव महापुराण कथा वाचक पंडित मिश्रा ने कहा कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान भाव के भूखे हैं, सुनते हैं सच्चे दिल की पुकार, दिल से पुकारना और दिखावें से पुकारने में अंतर है। जिससे हम याद नही रख सकते उन के नाम डायरी में लिखते हैं और जिन्हें दिल में रखते हैं उनके नाम डायरी में नही लिखते.सारे भगवान भक्तों के नाम डायरी में लिखकर रखते हैं, किंतु भगवान शिव अपने भक्तों को याद करने वालों को दिलों में बसा कर रखते हैं। जैसे एक मां अपने बच्चे की पुकार सुनकर आती है। उसी प्रकार भगवान शिव भी भक्तों का कल्याण करते हैं। ये विचार शहर के वड नगरी स्थित बड़े जटाधारी महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।

उन्होंने कहा कि मैं भक्तों को नरक की यातनाओं से डरा कर अथवा वेकुंड का लोभ दिखाकर भक्ति करने कथा सुनते नहीं बुलाता हूं बल्कि इंसान बने जिंदगी सुधारने
कथा सुनने बुलाता हुं।

पंडित मिश्रा ने शादी ब्याह के लिए वर वधु देखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस पर रोशनी डालते हुए कहा की कन्या और लड़का देखते समय उनका व्यवहार उनके चरित्र के साथ ही घर में देवालय मंदिर और भगवान के प्रति उनकी भक्ति भी देखनी चाहिए। भक्ति मार ठोक नहीं आती बल्कि उपदेश देने वाला पहले उस पर अमल करें फिर धर्म की बातें कहें। तब बात हृदय में उतरती है।

पंडित मिश्रा ने सनातन धर्म की प्रचार करते हुए कहा कि आज से 20-25 साल पहले के पाठ्यक्रम में गौ माता पर निबंध हुआ करता था, बच्चों में गौ माता के प्रति प्रेम था। लेकिन आधुनिक काल में इस पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया है।

इसके स्थान पर राजनेता तथा अन्य विदेशी युवतियों का चरित्र पर निबंध पाठ्यक्रम में जोड़ दिए गए हैं जिसके चलते विद्यार्थियों में गो आधार के स्थान पर कुत्ते बिल्लियों के प्रति प्रेम जाग उठा है।

बैल पूजा धर्म का प्रतीक है। महाराष्ट्र संतों की भूमि है इस पावन भूमि में अनेक संतो जन्म लिया है।
इस प्रदेश में बैलों की पूजा पोला पर की जाती है। महाराष्ट्र में संतों का सम्मान किया जाता है यह भूमि ज्ञान की है। संतो के दरबार में भोजन अवश्य करें इस भोजन से बीमारियों का सर्वनाश होता है।

राजनेताओं को उपदेश देते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि सत्ता में आने के बाद भूल जाए कि आपका साथ किसने दिया या ना दिया था। सभी से प्रेम करें सारी प्रजा तुम्हारी है।


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By nit

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