जलगांव में फिर से सुनाई पड़ने लगे हैं 100/150/200 करोड़ फंड के आंकड़े, उद्योगों को लेकर प्रायसों की मांग | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जलगांव में फिर से सुनाई पड़ने लगे हैं 100/150/200 करोड़ फंड के आंकड़े, उद्योगों को लेकर प्रायसों की मांग | New India Times

‘सरहदों पर इतना तनाव क्यों है जरा पता तो करो कही चुनाव तो नहीं है,’ राहत इंदौरी साहब का यह मशहूर शेर काफ़ी हद तक जलगांव के वर्तमान राजनीतिक आलम को बयां करता है। यहां सरहद की जगह 100/ 150/ 200 करोड़ रूपए के बुनियादी ढांचा विकास फंड ने ले ली है फिर भी विकसित भारत यात्रा निकालने वाली भाजपा में तनाव है। 2014 -19 में नासिक, धुलिया, जलगांव, मालेगांव निकाय चुनावों के दौरान भाजपा नेता गिरीश महाजन ने अपने चुनावी भाषणों में इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए 100 से 300 करोड़ रुपए तक का विकास निधि देने की बात कही थी। वादे के मुताबिक कई शहरों में 70 से 100 करोड़ रुपए की लागत से गुजरात की कंपनी को सुरंगी ड्रेनेज सिस्टम योजना के टेंडर दिए गए। सुरंगी नालियों के चेंबर ने सड़कों को उजाड़ दिया। इन्हीं सड़कों को सीमेंट कांक्रीट की बनाने के लिए आज सैकड़ों करोड़ का फंड खर्च किया जा रहा है। जलगांव शहर के फुटपाथ आभार प्रकटन के पोस्टरों से पटे पड़े हैं। काव्य रत्नावली चौक से मनपा टावर तक 5 किमी कांक्रीट फोरलेन सड़क निर्माण के लिए 20 करोड़ का टेंडर पास कराया गया है। जामनेर में 150 करोड़ से सीमेंट कांक्रीट की सड़कें बनेंगी जिसमें 15% यानी 22.5 करोड़ रुपया नगर परिषद देगी। 22.5 करोड़ का बोझ शहर के आम करदाता को उठाना है। विश्वगुरु भारत में सड़क, पानी, ड्रेनेज, बिजली के ठेकों के नाम पर कौनसा इको सिस्टम चलाया जा रहा है यह जनता को समझने लगा है। इतना पैसा रोजगार पैदा करने वाले कृषि प्रक्रिया उद्योगों और कारखानों के निर्माण पर लगाया गया होता तो हजारों को रोजगार की गारंटी मिलती। आज भी आवाम को टेक्सटाइल पार्क, केला अनुसंधान, वन औषधि चिकित्सा एवं विज्ञान केंद्र, मेडिकल हब की प्रतीक्षा है। नीति और राजनिति के इस बेमेल संजोग की वास्तविकता के चलते इंदौरी साहब का एक शेर याद आता है “अपनी हालत का खुद अहसास नहीं है मुझ को, मैंने औरों से सुना है कि मैं परेशान हूं”


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