मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

बुरहानपुर म्यूजिक क्लब द्वारा गीत संगीत की कार्यशाला (वर्कशॉप) का कार्यक्रम बुरहानपुर म्युजिक क्लब अध्यक्ष उमेश जंगाले की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सर्वप्रथम मां सरस्वती के तेल चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, तत्पश्चात् लता जी एवं आशा जी के जन्मोत्सव पर केक काटा गया और किशोर दा की पुण्यतिथि पर तीनों को आदरांजलि दी गई। इस अवसर पर संगीत कार्यशाला में गुरुवर्य नामदेव भोइटे ने कहा गायकी जितनी सरल है उतनी ही आसान भी नहीं है। कार्यक्रम में लगभग 8 घंटे 100 गायकों को सुर संगीत, गायकी के गुरु सिखाए गए। जैसे स्वर वर्णों के आरोह और अवरोह सहित सरगम की सभी तालों की रियाज़ करते हुए, गाते समय गले की हरकतें और अपनी आवाज़ को ऊंचे स्वर तक किस विधि से ऊपर तक पहुंचाना चाहिए,, की जानकारी दी गई। वहीं संगीतज्ञ गुरुवर्य गजानन सालूंके द्वारा हारमोनियम के माध्यम से तीनो सप्तकों में स्वर परफेक्ट,, इसका ज्ञान बारीकी से दिया गया।
उन्होंने बताया कि गायकी में न्यास, मिड, मुरकी, खटका और मिस्र स्वरों का क्या महत्व होता है, इन सभी को समझाया गया। इस अवसर पर संगीतज्ञ गुरुवर्य दिलीप कुमार मोरे द्वारा बताया गया कि संगीत में आवाज ध्वनि, नदद और श्रुतियों का अनुपम संगम बड़े ही प्रभावी ढंग से समझाया गया। उन्होंने थाट और ताल का क्या महत्व होता है इस पर प्रकाश डाला और कहा कि रियाज़ सुरों के सरगम का किया जाता है और प्रैक्टिस गीतों की, की जाती है। आजकल रेडीमेड अर्थात ट्रैक सिस्टम पर गाने गाकर संगीत की आराधना कर रहे वह सभी बधाई के पात्र है। लेकिन उन्हें भी संगीत के गुर सीखना चाहिए। संगीत की रागों की समझ जल्दी नहीं आती है। इसलिए वर्षो लग जाते हैं। संगीत एक चिकित्सा है, इसमें बड़ी से बड़ी बीमारियां ठीक करने की क्षमता होती है। वर्तमान समय में संगीत ही मनुष्य को तनाव से मुक्ति दिला सकता है। हमने बीड़ा उठाया है कि इस तरह की वर्कशॉप कुशल संगीतज्ञ को बुलाकर संगीत और संस्कृति विधाओं का बिगुल बजाते रहेंगे। कार्यक्रम में 20 श्रेष्ठ गायकों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गीत संगीत से जुड़े लोग मौजूद रहे।