मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति को सुलभ और सुनियोजित तरीके से संधारण हेतु भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से 33/11 के लगभग 9 करोड़ की लागत से 4 विद्युत उपकेन्द्र स्वीकृत कराकर इनका निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया है। ग्राम तुरकगुराड़ा -फोफनार उपकेन्द्र से तुरकगुराड़ा एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र, चिंचाला मुक्तिधाम लालबाग उप केन्द्र की स्थापना से चिंचाला ग्रामीण क्षेत्र एवं आसपास का लालबाग क्षेत्र, मंडी-शनवारा उपकेन्द्र के निर्माण से शहरी क्षेत्र के आसपास शनवारा एवं मंडी बाज़ार तो वहीं धामनगांव-चापोरा उप केन्द्र से चापोरा, धामनगांव सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को विद्युत आपूर्ति की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
ज्ञात रहे पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस के कार्यकाल में वर्ष 2008 उपरांत बिरोदा ग्रीड, रायगॉव ग्रीड, पुराना पावर हाउस ग्रीड तथा वर्ष 2013 से 2018 दौरान लोनी ग्रीड, जसौंदी ग्रीड, मोहद ग्रीड, कलेक्ट्रेट ग्रीड का निर्माण किया गया था। इसी प्रकार 2008 के उपरांत भाजपा शासन में श्रीमती चिटनिस के प्रयासों से 2266 नए ट्रान्सफार्मस लगाए गए और 33 केव्हीए की लाईन 28.70 किलोमीटर, 11 केव्हीए लाईन 1114 किलोमीटर तो वहीं 33 केव्हीए लाईन 203 किलोमीटर बिछाई गई है।
बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र में बिजली के क्षेत्र में पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस के कार्यकाल में क्रांतिकारी कदम
कर्मठ, जागरूक,लगनशील, इरादे की पक्की और सौम्य भाजपा की कद्दावर नेत्री एवं पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) के ज़ेहन में सिर्फ एक ही धुन सवार रहती है और वो बुरहानपुर के चौमुखी विकास की। कृषि, बिजली, सिंचाई और सड़क सहित हर विषय पर श्रीमती चिटनिस की दूरदर्शी सोच ने बुरहानपुर को प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल किया है। श्रीमती चिटनिस के अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि 2008 से 2018 तक बुरहानपुर में बिजली के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य हुए है। वर्ष 2008 से 2018 तक 2.21 करोड़ यूनिट से 5.18 यूनिट प्रति वर्ष में 134 करोड़ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
किसान बताते है कि वर्ष 2011 के पहले ट्रांसफार्मर का डिपो बड़वाह में हुआ करता था जिसके कारण ट्रान्सफार्मर 8 से 10 दिन बाद नए ट्रान्सफार्मर उपलब्ध होते थे। जिसकी वजह से किसानों की फसलें खराब होती थी।
बुरहानपुर प्रदेश का एकमात्र जिला है जिसमें केले की फसल होती है। केले की फसल को ग्रीष्म ऋतु में लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन लगभग 35 लीटर पानी प्रति पौधा देना होता हैं। लगातार तीन दिन यदि पानी नहीं दिया गया तो फसल प्रभावित होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए बुरहानपुर में ट्रांसफार्मर का डिपो स्थापित किया गया। जिले में डिपो आने के बाद तत्काल ट्रांसफार्मर उपलब्ध हो जाता है और कोई फसल भी प्रभावित नहीं होती है।
क्षेत्र के कृषक संतोष लक्ष्मण पाटिल, चंद्रकांत बाबुराव पाटिल सहित अन्य किसानों का कहना है कि जब फीडर सेपरेशन नहीं हुए थे तब गांव और खेत की लाइन एक साथ चलती थी। जिस कारण एक ग्रेड से पूरे क्षेत्र में चलने वाली लाईन में कभी फाल्ट हो जाता था तब पूरी बिजली बंद कर दी जाती थी। जिस किसी भी दिन कभी भी किसान अपनी फसल को समय पर सिंचाई नहीं कर पाता था और दिन-रात किसानों को खेतों में ही रहना पड़ता था। गांव में बिजली के अभाव में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। घरों में बिजली ना होने की वजह से बुजुर्ग, बीमार व्यक्तियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। ओवरलोड ट्रांसफार्मर की वजह से लो वोल्टेज बिजली मिलती थी। जिस कारण बार-बार डीपी जलना, फ्यूज टूट जाना, एलटी लाईन के तार टूट जाना आम बात थी।
ट्रांसफार्मर के जल जाने पर किसानों को 4 हजार से 5 हजार खर्च करने पड़ते थे। अपने खुद के वाहन से डीपी बुरहानपुर पहुंचाना पड़ती थी। जो 8 से 10 दिनों के बाद ही उपलब्ध हो पाती थी। क्योंकि ट्रांसफार्मर का डिपो बड़वाह में स्थित है जहां से डीपी लाने और ले जाने में समय खराब होता था। लो वोल्टेज और ओवरलोड ट्रांसफार्मर की वजह से लगातार मोटर पंप स्टार्टर केबल और सर्विस वायर का खराब होना आम बात थी। जिसका खामियाजा किसानों को समय और पैसा बर्बाद करके भुगतना पड़ता था। साथ ही उसकी अनमोल फसल खराब होती थी। उसकी आर्थिक स्थिति कभी सुधर नहीं पाती थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस के अथक और सुनियोजित प्रयासों से आज किसान खुशहाल हो गया है। आज किसान रात में चैन की नींद सोता है। गांव में 24 घंटे बिजली रहती है। शहर और गांव में जो अंतर था। वह पूर्ण समाप्त हो चुका है। बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ रहे हैं। मोटर पंप का रख-रखाव का खर्च ना के बराबर है। हाई वोल्टेज की वजह से मोटर पंप पानी पूरी क्षमता से बाहर निकलते हैं, जिससे कम समय में ही अच्छी सिंचाई हो जाती है।
ग्राम बोरसल के किसान और पूर्व सरपंच अशोक सीताराम पाटिल का कहना है कि हमारे गांव में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत थी। हम बिजली की समस्या से भी बहुत परेशान थे। वर्ष 2008 से 2018 के बीच पूर्व मंत्री अर्चना दीदी ने कई सारे ट्रांसफार्मर लगवाए। धामनगांव का तालाब बनवाया और हमारे गांव में एक बैराज भी बनवाया। जिससे कई वर्षों से बंद पड़े हुए कुएं, बावरियां और बंद पड़े हुए ट्यूबवेल में पानी आ गया। हमारे गांव में पानी की कमी के कारण हम बागवानी फसलें नहीं ले पाते थे और अब हमारे गांव की सारी खेती सिंचित हो चुकी है। जिस कारण हमारे गांव की आर्थिक स्थिति बदल चुकी है, इसके लिए मैं अर्चना दीदी का बहुत आभारी हूं।
ग्राम खामनी के कृषक मधुकर पुंडलिक पाटिल ने बताया हमारे गांव में बिजली की स्थिति सुधारने के बाद केवल एक ही मोटर पंप मैकेनिक रह गया है। जबकि फीडर सेपरेशन और ओवरलोड ट्रांसफार्मर की वजह से 10 वर्ष पहले मोटर वाइंडिंग का काम करने वाले 4 वाइंडर थे। अब किसी भी प्रकार का मोटर पंपों में काम नहीं निकलता है। इस कारण कई लोगों ने काम छोड़ दिया। वाइंडिंग और किसानों को फिजूल में लगने वाला खर्च और मेहनत कम हो गई। भावसा मध्यम सिंचाई परियोजना का लाभ अब ग्राम खामनी को भी पूरी तरह से मिल पाएगा और हमारी वाटर लेवल भी बढ़ जाएगी।
भावसा के कृषक इंदरसिंह रामदास पाटिल का कहना है कि गांव में फीडर सेपरेशन बनने के बाद सुलभ बिजली मिलती है। जिसके कारण कई सारे रोजगार गांव में ही उपलब्ध हो गए है। कम्प्यूटर सेंटर, वेल्डिंग मशीन की वर्कशाप सहित बिजली से चलने वाले छोटे व्यवसाय सहित बैंकिंग व्यवस्था सभी तरह की जो शहरों में गतिविधियां होती है वहीं अब गांव में होने लगी है। जिस कारण गांव का शहर का अंतर खत्म हो गया है। बिजली सुचारू रूप से मिलने के कारण स्कूल और अस्पताल की गतिविधियां निर्बाध रूप से चल रही है। वहीं पेयजल की समस्रूा का पूर्ण रूप से समाधान हो गया है।
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