नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

विधानसभा में विपक्ष के सवालों से भागने वाले मंत्री डैमेज इमेज को चमकाने के लिए DPDC (जिला नियोजन समिति) को अखाड़ा बना देते हैं। मीडिया को मैनेज कर अधिकारियों को रडार पर लेकर लीडर मैनेजमेंट किया जाता है। लोकप्रियता के आदि हो चुके नेताओं के लिए यह कोई नई बाते नहीं है। बीते महीने DPDC में आयोजित बैठक में अनुभवी कैबिनेट मंत्रियों द्वारा शराब बंदी विभाग को लताड़ने के बाद जलगांव आबकारी विभाग ने अवैध शराब भट्टियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी है। आबकारी विभाग प्रमुख विजय भूकन के नेतृत्व में जवखेड़े, भोलाने गांव के आसपास निर्जन ठिकानों पर छापामारी कर अवैध शराब निर्माण प्लांट को बर्बाद किया गया है। आबकारी चीफ़ के मुताबिक डिपार्टमेंट ने बीते दस दिनों में 166 केसेस फाइल की है। लगातार जारी कार्रवाई में करीब 22 लाख रुपए का माल जब्त किया गया है। ज्ञात हो कि अतीत में आबकारी विभाग भुसावल, पाचोरा सर्कल ऑफिस की ओर से अवैध शराब बिक्री पर लगाम लगाने का प्रयास किया जा चुका है। 22 जुलाई को NIT में प्रकाशित खबर में हमने अवैध शराब के विकसित सिस्टम के भीतर लिप्त कथित पॉलिटिकल प्रेशर वॉल्व के मामले में बात रखी थी।
मानव संसाधन और कड़े कानूनों की आवश्यकता
महाराष्ट्र में आबकारी और पुलिस विभाग का स्वतंत्र मैकेनिज्म है। पुलिस की तुलना में आबकारी विभाग के पास मानव संसाधन और दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए सख़्त क़ानूनों का अभाव है। शराब बंदी विभाग को व्यापक रूप से अधिकार संपन्न बनाने के लिए विधायिका अर्थात विधानसभा द्वारा सदन में कड़े कानून बनाने की जरूरत है।
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