नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सारा मणिपुर जल रहा है और पीएम बांसुरी बजा रहे हैं। टीम इंडिया के मणिपुर से लौटने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शान में रोमन सम्राट नीरो के ऐतिहासिक तथ्य के आधार पर कही यह बात कुछ भी गलत नहीं है। 200 मौतें, 50 हजार लोगों का विस्थापन, सैकड़ों महिलाओं के साथ किया गया यौन हिंसाचार, 300 चर्च का जलाया जाना मणिपुर को गृहयुद्ध मे झोंक देना, इन सब पर पीएम की चुप्पी से देशभर में लोगों का गुस्सा उबल रहा है। आज जामनेर में आदिवासी एकता परिषद की ओर से भव्य मोर्चा निकाला गया जिसमें महिलाओं ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। सुधाकर, सिताराम सोनवाने, साऊसिंग शेवाले, हुसैन तड़वी, ऊषा चव्हाण, प्रवीण ठाकरे शामिल हुए। NCP चीफ़ शरद पवार की ब्लॉक कमेटी से विलास राजपुत ने इस आंदोलन को समर्थन दिया। 30 जुलाई को संपन्न मन की बात के 103 वें संस्करण से मणिपुर गायब रहा। भाजपा के तमाम नेताओं ने तीस मिनट तक प्रधानमंत्री के मन की बात सुनी लेकिन मणिपुर पर किसी की अंतरात्मा नहीं जागी। भाजपा नेताओं की आलीशान कोठियों और बंगलों पर जमा की गई लाभधारकों की भीड़ को जनता की शक्ल देकर टीवी के सामने बिठाया गया। मोदी के ऊपर प्रकट की जाती असीम श्रद्धा के नाम पर पैदा किए गए इस सीन के फोटो निकालकर अनुशासित माहौल बनाया गया।
मनोहर कुलकर्णी का पुतला फूंका

संभाजी भिड़े इस नकली पहचान को धारण कर बहुजन समाज के महापुरुषों का चरित्र हनन करने वाले मनोहर कुलकर्णी नामक समाज-विरोधी शख्स के खिलाफ बहुजन समाज सड़क पर उतर आया। इस आंदोलन में अशोक नेरकर, जावेद मुल्लाजी, डॉ प्रशांत पाटील, रफीक मौलाना, संतोष झालटे, आतिश झालटे, ज्ञानेश्वर बोरसे, शरद त्रंबक पाटिल समेत सैकड़ों मान्यवर मौजूद रहे। मनोहर ने आधुनिक भारत के निर्माता महात्मा ज्योतिबा फूले के विषय में बेहद निंदाजनक टिप्पणी की जिसके बाद उसने महात्मा गांधी के DNA पर सवाल उठा दिए। कुलकर्णी अपने हर भाषण में राष्ट्रवाद के नाम पर हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ़ भड़काता रहता है। मानसून सत्र में कांग्रेस ने कुलकर्णी को गिरफ्तार करने की मांग की जिस पर उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने सदन में बाहर बताया कि भिड़े और भाजपा का कोई संबंध नहीं है उस पर कार्रवाई होगी। सोशल मीडिया की तमाम साइड्स पर ऐसी सैकड़ों तस्वीरें उपलब्ध हैं जिनमें कुलकर्णी को भाजपा नेताओं, मंत्रियों के साथ देखा जा सकता है। जामनेर शहर में संपन्न इन दोनों आंदोलनों के विषय भले ही अलग हो लेकिन देश को बांटने का प्रयास करने वाली सोच बिल्कुल साफ है जिसे मनुवादी विचारधारा के नाम से पहचाना जाता है।
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