नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

मणिपुर में तीन महीने से जारी नस्लीय हिंसा ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। यूरोपीय संसद में इस हिंसा को लेकर सदन में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें भारत सरकार पर हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। 77 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले पर बात करने के लिए छत्तीस सेकंड का समय मिला। इस दौरान नॉर्थ ईस्ट और उत्तरी भारत समेत दक्षिण में मणिपुर हिंसा में महिलाओं पर किए गए यौन अत्याचार के खिलाफ़ आंदोलन शुरू हो गए हैं।

भारत को सामाजिक सुधार के आंदोलन को दिशा देने वाले महाराष्ट्र में मणिपुर को लेकर हो रहे आंदोलनों की धधक अधिक है। राज्य के हर जिले और ब्लॉक में सर्वसमावेशी विरोध बढ़ता जा रहा है। जामनेर में आदिवासी एकता परिषद ने 31 जुलाई को भव्य मोर्चा का आयोजन किया है। संगठन ने अपने ज्ञापन में भाजपा शासित मणिपुर की बिरेन सिंग सरकार बरखास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है ज्ञात हो कि विपक्षी गठबंधन टीम इंडिया ने मणिपुर को लेकर मानसून सत्र में प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग जारी रखी है। ताजा जानकारी के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कुकी महिलाओं के निर्वस्त्र परेड मामले में सात अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इस प्रकरण की जांच CBI करेगी, सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी की इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर असम में कराए। विदित हो कि मणिपुर के हिंसा प्रभावित कुछ इलाकों में अफस्पा लगा दिया गया है।
भाजपा के बयानवीर मंत्रियों ने साधी चुप्पी

कोरोना काल में उद्धव ठाकरे पर घर में बैठे रहने और मंत्रालय नहीं आने का आरोप लगाने वाले भाजपा के बयानवीर मंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर नहीं जाने पर चुप्पी साधे बैठे हैं। राज्य विधानसभा सत्र और सार्वजनिक जीवन में भाजपा के किसी भी सदस्य ने मणिपुर पर अपना मुंह नहीं खोला है लेकिन इन मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्रों में निकल रहे आंदोलनों में उमड़ने वाली भीड़ चीख रही है, चिल्ला रही है, इंसाफ मांग रही है।
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