अगर मुस्लिम समुदाय ने क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान देकर मुकाबलाती परीक्षा के लिये अपने आप को तैयार नहीं किया तो शायद अगले कुछ सालों में खाकी वर्दी में मुसलमान मिलना मुश्किल हो जाएगा: अशफाक कायमखानी | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT; ​
अगर मुस्लिम समुदाय ने क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान देकर मुकाबलाती परीक्षा के लिये अपने आप को तैयार नहीं किया तो शायद अगले कुछ सालों में खाकी वर्दी में मुसलमान मिलना मुश्किल हो जाएगा: अशफाक कायमखानी | New India Timesराजस्थान के मुस्लिम समुदाय में राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के मार्फत चयनीत होने वाले राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारियों का टोटा वैसे तो हमेशा से ही रहा है, लेकिन 2001 में चयनीत होकर डीडवाना के बेरी गावं के होनहार बेटे नाजिम अली खान के RPS बनने के एक लम्बे अर्से बाद 2011 में साहना खानम व फिर अब 2017 मे देशनोक के नूर मोहम्मद का RPS बनने का मतलब है कि समुदाय में मुकाबलाती परीक्षा पास करके कुछ कर गुजरने का या तो मादा खत्म हो चुका या फिर समाज ने हार मानकर हर शख्स एक साथ हाथ खड़े करके अपने आपको जमाने के सामने सरेन्डर कर दिया है।​अगर मुस्लिम समुदाय ने क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान देकर मुकाबलाती परीक्षा के लिये अपने आप को तैयार नहीं किया तो शायद अगले कुछ सालों में खाकी वर्दी में मुसलमान मिलना मुश्किल हो जाएगा: अशफाक कायमखानी | New India Timesअगर राजस्थान के मुस्लिम समुदाय से सीधे तौर पर RPSC परीक्षा के मार्फत पहले RPS फिर तरक्की पाकर IPS बनने वालों पर जरा नजर डालें तो अब तक फिरोज अहमद सिंधी, मुराद अली अबरा, लियाकत अली खान, निसार अहमद मंसूरी, सरवर खान, हबीब खान, तारिक आलम व हैदर अली जैदी प्रमुख रुप से गिने जाते हैं। इनमें से मुराद अली अबरा, लियाकत अली खान, निसार अहमद, व सरवर खान IG पद से रिटायर हुए व फिरोज अहमद DIG पद पर रहते हुये अल्लाह को प्यारे हो गये थे। वहीं डीडवाना के लाडले हबीब खान गोरान पहले RPS से IPS बने फिर राजस्थान लोकसेवा आयोग के सदस्य बनने के बाद चेयरमैन से रिटायर हुये हैं। इसी तरह टोंक के तारिक आलम अगले साल रिटायर होने को हैं, तो हैदर अली जैदी अगले साल DIG व फिर IG बन सकते हैं। इस 16 सालों में RPS बने नाजिम अली खान बीकानेर शहर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं, तो साहना खानम PTS खेरवाड़ा में उप पुलिस अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं। जबकि नूर मोहम्मद की पोस्टिंग होना बाकी है। दूसरी तरफ इनसे पहले 1995 में सीकर जिले के बेसवा गांव के लाडले अरशद अली खान व उसके बाद जयपुर के प्रमुख जैदी परीवार के लाडले 1999 मे मुस्तफा जैदी RPS के लिये चयनीत हुये जो आज अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं।​अगर मुस्लिम समुदाय ने क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान देकर मुकाबलाती परीक्षा के लिये अपने आप को तैयार नहीं किया तो शायद अगले कुछ सालों में खाकी वर्दी में मुसलमान मिलना मुश्किल हो जाएगा: अशफाक कायमखानी | New India Timesकुल मिलाकर यह है कि आजादी से पहले मुसलमान सिपाई व थानेदार तक तो आसानी से बन जाते थे, लेकिन कुछ लोग राजाओं के चहते परिवार के होने के कारण इन पदों से ऊंचे पद पर भी पहुंच जाते थे। पर आजादी के बाद काफी समय तक एक को छोड़कर बाकी कुछेक थानेदार व फिर नीचे सिपाई तो बनते रहे थे। लेकिन 1980 के बाद सिपाई बनने के आंकडों में भी काफी गिरावट आने से अब हाल यह हो चला है कि कही  कहीं एक दो सिपाई नजर आ जाये तो बडी बात होगी, तो अधिकारी बनना तो बडा कठिन हो चला है। अगर समुदाय ने क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान देकर मुकाबलाती परीक्षा के लिये अपने आपको तैयार नहीं किया तो शायद अगले कुछ सालों में खाकी वर्दी में मुसलमान मिलना मुश्किल हो जाएगा।


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