साबिर खान, गुरुग्राम/नई दिल्ली, NIT:
भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर ने पिछले कई दिनों से देश के नए संसद भवन में संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया हुआ है। जनसमर्थन के लिए भीम सेना ने 9953532986 मिस कॉल नंबर जारी किया है। जिसपर अभी तक सवा दो लाख से ज्यादा लोग समर्थन में मिस कॉल कर चुके हैं। गत 29 मई को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद का उद्घाटन किया था। महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों उद्घाटन ना कराए जाने को लेकर भी बड़ा बवाल हुआ था। अब भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर ने नए संसद भवन में संविधान निर्माता डॉ० अम्बेडकर की प्रतिमा ना लगाए जाने को लेकर नया विवाद छेड़ दिया है।
भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर ने महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को खुला पत्र लिखा है और संसद भवन में डॉ० अम्बेडकर की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर चर्चा हेतु समय देने की मांग की है। तंवर ने यह पत्र राष्ट्रपति के सचिव राजेश वर्मा और उप सचिव स्वाति शाही के माध्यम से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के पास भेजा है। संसद भवन में बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर राष्ट्रपति भवन से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। तंवर का कहना है कि संविधान निर्माता की प्रतिमा पुरानी संसद में लगी हुई है ऐसे में नई संसद में प्रतिमा नहीं लगाना बाबा साहब का अपमान है और यह भाजपा सरकार की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डॉ० अम्बेडकर के साथ भेदभाव कर रहे हैं जबकि डॉ० अम्बेडकर संविधान निर्माता हैं उसके बावजूद उनको अनदेखा किया जा रहा है।
भीम सेना प्रमुख सतपाल तंवर की इस मांग ने विवाद का रूप ले लिया है। जो देशभर से भाजपा सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। तंवर का कहना है कि नई संसद में डॉ० अम्बेडकर की प्रतिमा नहीं लगाए जाने से देश के अनुसूचित जाति/ जनजाति, पिछड़े वर्गों, आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को बेहद निराशा हुई है और उनकी भावनाओं को गहरा आघात लगा है। क्योंकि उपरोक्त लोग बाबा साहब को अपना मसीहा मानते हैं। गौरतलब है कि पुराने ऐतिहासिक संसद भवन में 1967 से संविधान निर्माता डॉ० भीमराव अम्बेडकर की 25 फीट ऊंची और 1.5 टन वजनी पंचधातु की प्रतिमा लगी है। जिसका अनावरण देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 2 अप्रैल 1967 को किया था। लेकिन नई संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहब की प्रतिमा को कोई जगह नहीं दी। यह देशभर में बड़े विवाद और भाजपा के विरोध का कारण बन गया है। भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को मुलाकात के लिए पत्र लिखा है जिससे मामला और अधिक गरमा गया है।
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