रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

बढ़ती कीमतों से जहां आम आदमी की दाल पतली हो चली है वहीं चाय की मिठास भी कम हो गई है। महीने भर में ही दालों के दाम में 10 प्रतिशत तक का उछाल आया है और
शकर के भाव भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में घर का बजट गड़बड़ाना तय है।
दाल के भाव ने बीते एक महीने से फिर रफ्तार पकड़ ली है। व्यापारियों के मुताबिक दाल का उत्पादन कम होना तेजी का प्रमुख कारण है। फिलहाल भाव में आगे और तेजी बनी रह सकती है। पिछले कुछ दिनों से स्थिर चल रहे चीनी में भी गर्मी की आहट शुरू होते ही तेजी आ गई है। एक माह के भीतर चीनी के दाम में करीब चार से पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में जमाखोरी बढ़ने की आशंका है। इसे रोकने के लिए सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक को कदम उठाने होंगे
दो कारण जिससे बढ़ी दाल की कीमतें
1. तुअर का उत्पादन कम होने से कीमत पर असर
बताया जाता है कि देश में तुअर का उत्पादन महज 60 प्रतिशत ही हुआ है। ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए तुअर का आयात किया जा रहा है। देश में तुअर का सरकारी स्टॉक भी खाली हो चला है जिसके चलते दाल की कीमतों में इजाफा हो रहा है।
2. बेमौसम बारिश से भी हुआ नुकसान
पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से दलहन को काफी नुकसान पहुंचा है। खास कर मप्र में चने की फसल अत्यधिक प्रभावित हुई है। इससे दलहन के उत्पादन में गिरावट की संभावना जताई जा रही है।
महीने भर में दाल की कीमतों में कितना अंतर
दाल मार्च अप्रैल
तुअर दाल 120 130
मूंग दाल 100 110
मूंग मोगर 110 120
उड़द दाल 100 110
चना दाल 70 75
शकर 38 40
◆भावना यादव ने कहा, दाल के बिना तो भोजन ही अधूरा है। पहले ही महंगाई है और अगर कीमतें ऐसे ही बढ़ती चली गई तो घर का पूरा बजट गड़बड़ा जाएगा। आखिर आम आदमी कैसे अपनी घर गृहस्थी चलाएगा।
◆गृहिणी रोशनी पंड्या एवं जेनब बेन ने कहा की हर चीज की कीमतें तो आसमान छू रही है।

आखिर कितनी बार हम घर का बजट व्यवस्थित करें।
अब दाल और शकर के भाव फिर बढ़ गए।
◆ भारती बैरागी ने कहा, दाल की कीमतें पिछले दो तीन महीने से बढ़ रही है। बढ़ती महंगाई के बीच मध्यमवर्गीय परिवार की थाली में दाल किसी पकवान की तरह हो गई है।
गर्मी में बढ़ जाती है शकर की खपत, इसलिए बढ़ी कीमत
गर्मी में हर साल शकर की मांग बढ़ जाती है। इस मौसम में हर घर में शर्बत व शिकंजी बनता है। मेहमानों को भी चाय के बजाय लस्सी या शर्बत ही परोसा जाता है। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक की भी खपत बढ़ती है। इसमें भी शकर का जमकर उपयोग होता है। शादियों में भी अधिक शकर का उपयोग होता है। मांग बढ़ने से भी शकर की कीमत में इजाफा हुआ है।
दो महीने से लगातार बढ़ रही है कीमत
दाल की कीमतों में फरवरी महीने से ही इजाफा हो रहा है। वर्तमान हालातों में दामों के स्थिर होने का अनुमान नहीं है: कीर्ति भंडारी, किराना व्यापारी, मेघनगर झाबुआ।
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