नरेंद्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
![शिर्डी में महापशुधन प्रदर्शनी: लंपी को लेकर कोई घोषणा नहीं, OPS के शोर में घट गया कपास का वजन, लड़ता रहा विपक्ष 2 शिर्डी में महापशुधन प्रदर्शनी: लंपी को लेकर कोई घोषणा नहीं, OPS के शोर में घट गया कपास का वजन, लड़ता रहा विपक्ष | New India Times](https://usercontent.one/wp/www.newindiatimes.net/wp-content/uploads/2023/03/IMG-20230314-WA0010-1-1024x768.jpg?media=1720687763)
महाराष्ट्र सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से 24 से 26 मार्च 2023 तक अहमदनगर के शिर्डी में राष्ट्रीय स्तर पर देश के सबसे बड़े ‘महापशुधन एक्सपो 2023’ का आयोजन
किया जा रहा है। मंत्रालय स्थित विशेष सूत्र द्वारा प्राप्त जानकारी में बताया गया है कि नासिक पहुंचे राजस्व एवं पशुपालन, दुग्ध विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने एक्सपो की घोषणा की है। इस प्रदर्शनी में देश के 13 राज्यों से पशु पक्षी मवेशियों को शामिल किया जाएगा। प्रदर्शनी के माध्यम से देशी नस्ल के गोवंश के संवर्धन के वैज्ञानिक महत्व को रेखांकित किया जाएगा। एक्सपो से सुशिक्षित बेरोजगारों को पशुपालन के लिए ऋण मुहैय्या करवा कर स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करने पर ध्यान दिया जाएगा। इसी कड़ी में दूध, मांस, अंडे के उत्पादन को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर इस क्षेत्र से जुड़े तत्वों की आय दोगुनी करने का प्रयास होगा। नागपुर के महाराष्ट्र पशु विज्ञान और मत्स्य विश्वविद्यालय के साथ राज्य के चार कृषि विश्वविद्यालय इस प्रदर्शनी में सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे।
OPS के शोर में घट गया कपास का वजन
![शिर्डी में महापशुधन प्रदर्शनी: लंपी को लेकर कोई घोषणा नहीं, OPS के शोर में घट गया कपास का वजन, लड़ता रहा विपक्ष 3 शिर्डी में महापशुधन प्रदर्शनी: लंपी को लेकर कोई घोषणा नहीं, OPS के शोर में घट गया कपास का वजन, लड़ता रहा विपक्ष | New India Times](https://usercontent.one/wp/www.newindiatimes.net/wp-content/uploads/2023/03/IMG-20230318-WA0022-1024x513.jpg?media=1720687763)
पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर राज्य सरकार के 18 लाख कर्मचारी 14 मार्च से हड़ताल पर हैं। बजट सत्र में कपास के समर्थन मूल्य को लेकर विपक्ष की ओर से सरकार की जो घेराबंदी की गई थी उसे OPS के मुद्दे के सहारे फांदने में सरकार लगभग कामयाब रही है। सदन में छगन भुजबल, एकनाथ खडसे ने प्याज कपास की फसलों के लिए किसानों को व्यापक आर्थिक सहायता की जारी रखी मांग को सरकार की ओर से गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। लंपि बीमारी से मृत मवेशियों की भरपाई को लेकर पशुपालकों के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस मदद का ऐलान नहीं किया गया है। आज भी मूल्यवृद्धि की आस में हजारों टन कपास किसानों के घरों और खेतों के खलिहानों में पड़ा हुआ है। सदन में भाषण करने की परिपक्वता आत्मसात करने के लिए पांच छह टर्म यानी 30 बरस तक का लंबा समय लेने वाले स्टंटबाज नेता कपास के समर्थन मूल्य के लिए डबल इंजिन सरकार में अपनी हैसियत को दांव पर लगाने से बचते नजर आ रहे हैं। ऐसे नेता अपने गृह निर्वाचन में ठेकेदारों के मसीहा बनने के सिवाय कुछ खास नहीं कर पाए हैं। समूचे राज्य में ओलों के साथ हो रही बारीश ने रबी की फसलें बर्बाद कर दी है। OPS हड़ताल के कारण कृषि उपजों के पंचनामे नहीं हो पा रहे है। सार्वजनिक स्वास्थ की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।
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