80 फीसद मधु पालन करने वालों की मधुमक्खियां बारिश की वजह से हो गईं तबाह, सरकार कर रही है मधु पालक किसानाें की अनदेखी: नासिर खान | New India Times

अली अब्बास, ब्यूरो चीफ, मथुरा (यूपी), NIT:

80 फीसद मधु पालन करने वालों की मधुमक्खियां बारिश की वजह से हो गईं तबाह, सरकार कर रही है मधु पालक किसानाें की अनदेखी: नासिर खान | New India Times

सरकार किसानों की बात करती है, मजदूरों की बात करती है लेकिन कभी मधु पालन करने वाले किसान भाइयों की बात नहीं करती ना ही इन्हें कोई मदद का भरोसा दिलाती है. मधुमक्खियों से निकलने वाले शहद के लिए ना तो सरकार ने कोई मंडी बनाई है ना कोई ऐसा स्थान बनाया है जहां मधु पालक किसान भाई अपना शहद बेच सकते हों, यह मधु पालक किसान भाइयों की बहुत बड़ी सरकार द्वारा अनदेखी है. यह बातें हमें हैदर मौन पालन केंद्र मेरठ के डायरेक्टर नासिर खान से विशेष बातचीत की हमने कहा मौन पालन केंद्र आपका कैसा चल रहा है क्या क्या दिक्कत है आपके सामने आ रही हैं, बारिश की तबाही से मोन पालन में क्या क्या परेशानियां आई है?
हैदर मौन पालन केंद्र मेरठ के डायरेक्टर श्री नासिर खान ने बताया कि मधु पालन का काम बड़ा कठिन और जटिल है. सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है और अगर सरकार मदद का ऐलान करती भी है तो बैंकों के मैनेजर लोन नहीं कर पाते उसके बाद भी लोग मौन पालन का काम करते हैं. मधु पालन का काम करना बड़ा ही महंगा काम है. मधुमक्खियों को पालने के लिए दूर-दूर के राज्यों में ले जाना पड़ता है जैसे कश्मीर, हिमांचल, राजस्थान, उत्तराखंड जैसे राज्यों में मधुमक्खियों को बचाने के लिए जाना पड़ता है और जंगल में लेटे रहना पड़ता है ऊपर से बॉक्स चोरी होने का और साइड पर लेटे हुए लोगों को पीटने का भी खतरा रहता है क्योंकि आज की तारीख में एक डब्बे की कीमत लगभग ₹4000 है. साल में लगभग 5 महीने काम चलता है और 7 महीने दूसरे राज्यों में मधुमक्खियों को ले जाकर चीनी खिलाकर जीवित रखना पड़ता है. अभी पिछले 2 हफ्ते पहले हम लोग भी राजस्थान से मधुमक्खियों को लेकर लौटे हैं. हमारे पास लगभग 1200 बॉक्स हैं जो हमने बदायूं में अलग-अलग गांव में लगा रखे हैं अब मक्खी के ग्रोथ बढ़ने का टाइम शुरू हुआ था लेकिन ऊपर वाले की मर्जी लगातार हो रही बारिश से 80 फीसद मधु पालन करने वालों की मधुमक्खियां बारिश की वजह से तबाह हो गई हैं. सरकार किसानों की बात करती है, मजदूरों की बात करती है लेकिन कभी मधु पालन करने वाले किसान भाइयों की बात नहीं करती नाही इन्हें कोई मदद का भरोसा दिलाती है. मधुमक्खियों से निकलने वाले शहद के लिए ना तो सरकार ने कोई मंडी बनाई है ना कोई ऐसा स्थान बनाया है जहां मधु पालक किसान भाई अपना शहद बेच सकते हों, यह मधु पालक किसान भाइयों की बहुत बड़ी सरकार द्वारा अनदेखी है. आज हम आप के माध्यम से उत्तर प्रदेश में चलने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के मुखिया माननीय बाबा योगी आदित्यनाथ से गुजारिश करेंगे कि थोड़ी सी नजरें मधु पालक किसान भाइयों की तरफ भी लगा कर देखो भारी बारिश के चलते कितनी तबाही मधु पालक किसान भाइयों की हुई है. आपके लिए आसान है जिले वाइज आपने खादी ग्राम उद्योग विभाग के ऑफिस खुले हैं, आप उनसे सर्वे कराकर यह जानकारी कर सकते हैं. इस बार बारिश की तबाही से कितने मधु पालक किसान भाइयों की कमर टूट चुकी है.
श्री नासिर खान ने आगे बताया शहद बेचने के बाद कई कई महीने तक शहद लेने वाले लोग पैसे नहीं देते. पहली बात तो यह कि माल को उधार उठाते हैं जबकि यह नहीं होना चाहिए, सरकार को ऐसा सिस्टम लागू करना चाहिए गुणवत्ता पर आते ही माल को खरीदा जाए हाथों-हाथ पेमेंट किया जाए और सरकार द्वारा मधु पालक किसान भाइयों को मदद भी दी जानी चाहिए. हम आप के माध्यम से सरकार से यह मांग करते हैं कि आप जिले वाइज सर्वे कराकर के कितने मधु पालक किसान भाइयों को बारिश से नुकसान हुआ है उनकी सरकार को मदद करनी चाहिए।


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By nit

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