मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
जिले में करोड़ों रुपए की लागत से बने हुए सरकारी अस्पताल में सुविधाएं नहीं मिलने के कारण लोगों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है और निजी अस्पताल वाले भी मरीजों के जान के दुश्मन बने हुए हैं। कभी तो मरीजों से इलाज के नाम पर लाखों रुपए लिए जाते हैं तो कहीं पर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण जिले के राजपुरा गेट के बाहर स्थित गुड हॉस्पिटल में देखने को मिला। हॉस्पिटल का नाम तो GOOD रखा गया है, लेकिन काम उसके ठीक विपरीत है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 21 अप्रैल को शाहपुर निवासी शारदा पति प्रवीण को पेट में दर्द होने पर दोपहर में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके पति द्वारा काउंटर पर फीस भी जमा कर दी गई लेकिन इलाज के दौरान उक्त महिला की अचानक मौत हो गई इस पर परिवार वालों ने हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया। हंगामे को शांत करने के लिए शुरू हुआ सौदेबाजी का खेल। हॉस्पिटल के संचालक ने मृतिका के परिजनों को बुलाकर उसे कथित रूप से 2 लाख रुपये के आठ दिन पश्चात के पोस्ट डेटेड चेक देकर मामला को यहीं रफा-दफा करने का कहा गया। जबकि परिवार वाले चाहते तो पोस्टमार्टम करा कर मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता भी लगाया जा सकता था, परंतु परिवार वालों ने भी रुपए के लालच में आकर महिला की मौत का सौदा 2 लाख रुपये में कर डाला और शव को घर लेकर चले गए। इस संबंध में हॉस्पिटल संचालक से बात की गई तो उसने बताया कि महिला के पेट में सूजन होने के कारण उसकी मौत हो गई और 2 लाख रुपये के चेक देने बाबत उन्होंने मना कर दिया कि हमारे द्वारा कोई चेक नहीं दिए गए जबकि मृतक महिला के परिजनों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि संचालक ने हमें केबिन में बुलाकर 2 लाख रुपये के 8 दिन के बाद के POST DATED चेक दिए हैं तथा कहा कि मामले को यहीं रफा दफा करो किसी को न बताएं। इसके पूर्व भी इस हॉस्पिटल में ऐसे ही कुछ घटना होने की वजह से यह अस्पताल शंकाओं के घेरे में चल रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से गुड हॉस्पिटल गुड लिस्ट में संचालित है।
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