खाद की किल्लत, भटक रहे हैं किसान, किसानों को नहीं मिल पा रही है जरुरत के हिसाब से खाद: यदुनाथ सिंह तोमर | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:

खाद की किल्लत, भटक रहे हैं किसान, किसानों को नहीं मिल पा रही है जरुरत के हिसाब से खाद: यदुनाथ सिंह तोमर | New India Times

मध्यप्रदेश सहित ग्वालियर -चंबल संभाग में खाद की किल्लत से अंचल के किसान हैं। केंद्र व राज्य सरकार की अदूरदर्शिता के चलते लगभग प्रतिवर्ष रबी की फसल के सीजन में डीएपी खाद की कमी व किल्लत हमेशा बनी रहती है। हालत यह है कि किसान सुबह से ही मंडियों और सोसाइटीज़ पर लाइन में लग जाते हैं, शाम तक कुछ किसानों को परमिट मिल पाते हैं, कुछ दूसरे दिन सुबह 5:00 बजे से फिर लाइन में लगते हैं। किसान परेशान हैं, बदहाल हैं, दाने दाने खाद के लिए मोहताज हैं। सरकार कानों में तेल डाले बैठी है। प्रदेश और केंद्र सरकार पर यह आरोप कांग्रेस के वरिष्ठ किसान नेता और प्रदेश महामंत्री यदुनाथ सिंह तोमर ने एक लिखित बयान में लगाया है।

कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री यदुनाथ सिंह तोमर ने कहा है कि रबी की फसल के सीजन में किसानों को डीएपी खाद की जरूरत होती है। लेकिन सरकार द्वारा फ़र्टिलाइज़र कारखानों से जरूरत से आधा भी खाद खरीद करके नहीं रखा गया है। जिसके चलते किसानों को यह परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ओर खाद की कमी दूसरी ओर किसानों की लूट भी जारी है। सोसाइटीज पर डीएपी खाद की रेट 1200 रु प्रति बैग है। लेकिन उपलब्ध नहीं होने से किसानों को बाजार से 1500 रु में लेना पड़ रहा है और ऊपर से उसमें भी नकली खाद की भरमार है।

किसानों की इस लूट के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार

सोसाइटीज पर एक आधार कार्ड पर मात्र दो बैग डीएपी खाद दिया जा रहा है। जबकि एक हैक्टेयर गेहूं की फसल के लिए लगभग पांच बैग डीएपी और सरसों चना में लगभग 2 बैग डीएपी खाद की जरूरत होती है। इसकी वजह यह है कि सरकार सोसाइटीज को पर्याप्त सप्लाई नहीं कर पा रही है। केंद्र व राज्य सरकार दोनों ही इसके लिए उत्तरदायी हैं। किसानों की इस लूट के लिए भाजपा सरकार, कॉरपोरेट कंपनियों तथा बड़े व्यापारी उत्तरदायी है। खाद की किल्लत प्रदेश व्यापी है।

तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों की रिहर्सल

यही हालत एनपीके खाद की भी है। जिसकी कीमत 1185 प्रति बैग है। वह भी बाजार में 1500 प्रति बैग मिल रहा है। अब एनपीके की रेट बढ़ कर 1700 प्रति बैग हो गई है। नियमानुसार 75% खाद सोसाइटीज से व 25% मार्केट से बेचा जाता है। अब उसे भी बदलकर 50 – 50% कर दिया है। अब किसानों को परेशान करके बाजार की ओर धकेलने का कुत्सित प्रयास सरकार कर रही है। मजबूरन किसानों को महंगे दामों पर बाजार से खाद खरीदना पड़ रहा है। यह मध्यप्रदेश में तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों को लागू करने की रिहर्सल है।

कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और वरिष्ठ किसान नेता यदुनाथ सिंह तोमर ने मांग की है कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद और बाद में यूरिया खाद उपलब्ध कराया जाए, फिलहाल डीएपी खाद के लिए तहसील मुख्यालयों पर कम से कम प्रति तहसील मुख्यालय 25 काउंटर लगाए जाए। समुचित मात्रा में खाद का आवंटन व उठाव सुनिश्चित किया जाए , आधार कार्ड से दो बैग खाद देने के बजाय जरूरत के मुताबिक किसानों को जमीन के रकबे के अनुसार भू अधिकार पुस्तिका के आधार पर उपलब्ध कराया जाए, थोक व खेरीज व्यापारियों से स्टॉक किया हुआ खाद निकलवाया जाए और उसे सरकारी रेट से किसानों को दिलाया जाए। इसके लिए आवश्यकतानुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाए और जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।


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