अंकिता जोशी, नरसिंहगढ़ (मप्र), NIT:
मछुआ सहकारी समिति नरसिंहगढ़ के नाम से संचालित यह समिति एक साथ दो तालाबों पर कब्जा जमाए बैठी है। जबकि नगर में कई ऐसे मछुआरे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे आते हैं लेकिन जिस समिति के बारे में हम आपको बता रहे हैं वह समिति के सदस्यों की अगर बात की जाए तो कईयों को यह भी नहीं पता होगा कि वह किसी समिति के सदस्य हैं साथ ही बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार यहां पर सामने आता है, समितियां ऑडिट नहीं कराती हैं, यह ऑडिट पूर्ववत रिपीट होता रहता है। जबकि मत्स्य पालन या मत्स्य उद्योग को बढ़ावा इसलिए दिया गया है कि गरीब मछुआरों को गरीबी रेखा के ऊपर लाया जा सके लेकिन यहां तो मामला कुछ और ही चल रहा है सालों से फर्जी समितियों का निर्माण हो रहा है कुछ जयचंद जिनके पास बड़ी बड़ी बिल्डिंग बड़ी-बड़ी गाड़ियां और सर्व सुख संपन्न है वह इन समितियों को चला रहे हैं जबकि गरीब मछुआरों का हक मारा जा रहा है। ऐसे लोगों पर प्रशासन ने अपना आशीर्वाद रूपी हाथ रख रखा है जिसकी वजह से यह लोगों को दबंगई दिखाते फिरते हैं साथ ही इनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होती जबकि ऐसे लोगों की समितियां भी खत्म हो जानी चाहिए और दूसरे लोगों को भी मौका मिलना चाहिए काम करने का।
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