कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
सच ही कहा जाता है की शिक्षा के लिए उम्र की कोई मर्यादा नहीं होती है, यही बात भगवान काले नामी 57 वर्षीय व्यक्ति ने सिद्ध कर के बताई है। जी हां भगवान काले ने इस साल हुई कक्षा दसवीं की परीक्षा में भाग लेते हुए सफलता प्राप्त की है, उन्हें दसवीं में कुल 59 प्रतिशत अंक मिले हैं।
बुलढाणा ज़िले की चिखली तहसील अंतर्गत की ग्राम वाडी ब्रम्हपुरी निवासी भगवान काले सामाजिक व राजकीय क्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं और पुरे इलाके में एक जाना पहचाना सा नाम है। शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा ज़रूर थी किन्तु अपनी पारिवारिक परिस्थिति के कारण आठवीं के बाद ही भगवान काले को बीच में ही शिक्षा को त्याग कर काम से लगना पड़ा था, लेकिन उनके मन में यह इच्छा थी कि वह दसवीं पास जरूर करेंगे। बढ़ती उम्र के साथ में जिम्मेदारियां भी बढ़ती गईं, जिस के कारण शिक्षा की तरफ भगवान काले का कुछ दुर्लक्ष तो जरूर हुआ लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के कारण उनका ध्यान अपने लक्ष्य की तरफ से हटा नहीं। उनके गांव से करीबी ग्राम किनहोला की श्री शिवाजी हाईस्कूल से कक्षा दसवीं का परीक्षा फ़ार्म भरा और मार्च 2017 में हुई परीक्षा में भाग लिया। अपने बच्चों की उम्र के छात्रों के साथ परीक्षा देते समय भगवान काले को कुछ शर्म सी भी महसूस हुई किंतु उन्होंने इसे नजरअंदाज करते हुए पूरे पेपर दिए। कल 13 जून को राज्य भर में कक्षा दसवीं की परीक्षा का नतीजा घोषित किया गया जिसमें 57 वर्षीय भगवान काले को 59 प्रतिशत अंक मिले हैं। अपने पास होने की खुशी भगवान काले ने बिल्कुल उसी तरह से मनाई जैसे कोई छात्र मनाता है।
मनुष्य जीवन भर शिक्षा ग्रहण कर सकता है इसी बात को भगवान काले ने सबके सामने रखते हुए यह संदेश दिया है कि मनुष्य शिक्षा के लिए अपनी उम्र को आड में ना लाएं बल्कि बेझिझक परीक्षा दे और सफलता पाएं।
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