अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT;
हालांकि सत्ता का स्वाद चख चख कर संघर्ष की आदत से कोसों दूर हो चली कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष में आने के बाद सीकर के उनके कुछेक नेतागण कभी कभार किसानों के मुद्दों को लेकर सौ-पच्चास आदमियों को जमा करके ज्ञापन या पुतला दहन करने के कार्यक्रम आयोजित-प्रायोजित जरुर करते रहते हैं, लेकिन आज तक कोई बडा आंदोलन छेड पाने में अभी सफल नहीं हो पाये हैं। इसके विपरीत प्रदेश में लाल टापू के तौर पर जाने पहचाने जाने वाले सीकर के वामपंथी पुर्व विधायक अमराराम की अगुवाई में किसान हित में आंदोलन करते आ रहे हैं। कांग्रेस में जब से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया का आगमन हुआ है तब से कांग्रेस पार्टी किसान हित में आंदोलन व सभा करने की घोषणाएं तो करती है, पर ऐन वक्त पर उस घोषणा से पीछे हटने से कांग्रेस की रही सही छवि को भी किसान समुदाय में अधिक चोट पहुंचती है। इसी तरह वामपंथी हमेशा बाजी मारते हुये कांग्रस की घोषणा के पहले सभा व आंदोलन करने की शुरुवात करके हमेशा बाजी मार ले जाने के माहिर साबित हो रहे हैं।
किसानों की बिजली दर वृदि को वापिस लेने सहित विभिन्न मांगों को लेकर सीकर के वामपंथियों ने पहले छोटे छोटे स्तर पर एक लम्बा आंदोलन चलाकर उस मुद्दे को लोहे की तरह गरम करके फिर मार्च में कृषि मंडी में विशाल सभा करके सरकार पर दवाब बनाकर दरें वापिस लेने को मजबूर करके जिले में किसान समुदाय में अपनी पैठ को फिर मजबूत किया था। वामपंथियों की उस कृषि उपज मंडी वाली सभा के बाद कांग्रेस ने भी वहीं उसी कृषि उपज मंडी में उन्ही मुद्दों को लेकर विशाल सभा करने का एलान करके ऐन मौके पर उस सभा को रद्द करके अपने आपका सियासी नुक्सान तो किया था वहीं किसान समुदाय में उनकी पैठ को धक्का लगा था। अब फिर एक बार उसी कृषि उपज मंडी में दोनों दलों ने किसान हित में सभा करने का एलान करके एक दुसरे को मात देने का खेल खेला है।
मध्य प्रदेश में पुलिस गोली से 6 किसानों के मारे जाने के बाद किसानों की कर्ज माफी सहित अनेक मांगों का मुद्दा काफी गरमाने के बाद जिला कांग्रेस ने इसी 17-जून को इन्हीं सभी मांगों को लेकर कृषि उपज मंडी सीकर में विशाल सभा करने का एलान करने के तीन दिन बाद वामपंथियों ने भी उनसे एक दिन पहले 16-जून को उसी कृषि उपज मंडी में इन्हीं सभी मांगों को लेकर विशाल सभा करके आंदोलन की शुरुवात की घोषणा करके कांग्रेस के सामने दूसरे दिन भीड़ जमा करने का संकट खड़ा कर दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि किसानों के मुद्दों को लेकर सीकर में कांग्रेस व वामपंथियों में शह व मात का खेल हमेशा से इस तरह चल रहा है कि “तू डाल डाल मै पात पात”। हर दफा वामपंथी चालाकी व सियासी रणनिती के कारण कांग्रेसियों को मात देते आ रहे हैं।
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