मेहलक़ा अंसारी, नई दिल्ली, NIT:
भारत की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायरा एवं कवियत्री सुश्री अना देहलवी ने देश में बढ़ते सांप्रदायिक भेद भाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संप्रदायिक भेदभाव देश की तरक्की के लिए बेहद नुकसान की बात है। अना देहलवी ने कहा कि आपसी सौहार्द सदियों से हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। भारत के लोगों ने संयुक्त रूप से संगठित होकर आजादी की लड़ाई लड़ी है, अपने जान माल की कुर्बानी दी तभी देश आजाद हुआ है। अंग्रेजों ने तो हमें धर्म, जात के नाम पर काफी लड़ाने की कोशिश की लेकिन भारत के लोगों ने एकता का दामन मजबूती से पकड़े रखा जिसके दम पर देश आजाद हुआ। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए अना देहलवी ने कहा कि बड़े गर्व की बात है कि हम आजाद भारत के निवासी हैं लेकिन मौजूदा हालात में जो हम लोग धर्म के नाम पर बंटते दिखाई दे रहे हैं यह बेहद चिंता का विषय है। नफरत से किसी का भला होने वाला नहीं और ना ही लड़ाई झगड़े से कभी किसी को कोई लाभ पहुंचता है। उन्होंने कहा अगर हम यूं ही आपस में लड़ते रहे तो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की आत्मा को निसंदेह कष्ट पहुंचेगा ! अना देहलवी ने युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को आजादी विरासत में मिली है इसलिए उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि कितना नुकसान व कुर्बानी के बाद हमारा देश आजाद हुआ है और आज हम अपने ही देश के साथ गैरों जैसा बर्ताव करते हैं । उन्होंने कहा हमें इतिहास पर भी नज़र डालनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे जहर पर चर्चा करते हुए अना देहलवी ने कहा कि जो लोग फेसबुक व्हाट्सएप बगैरा जो नफ़रत भरी पोस्ट सेंड करते हैं हमें उन पोस्टों को फ़ॉरवर्ड करने से बचना चाहिए। जो लोग नफ़रत फैलाने का कार्य करते हैं वह देश के हमदर्द नहीं हो सकते। और सोशल मीडिया के माध्यम से हम अगर चाहे कि समाज में सुधार ला सकते हैं तो यह भी बड़ा मुश्किल काम है। पोस्ट पर रिप्लाई करने से पुराने रिश्तो में खटास भी पढ़ने का है भय रहता है। इसलिए ज्यादा बेहतर यही है कि नफ़रत फैलाने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखी जाए।
अना देहलवी ने मां की ममता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि बड़े बदनसीब हैं वह लोग जो अपनी मां की कदर नहीं करते। मां क्या होती है कोई उनसे पूछे जिनके पास माँ नहीं है । उन्होंने कहा औलाद के अंदर चाहें लाख बुराई हो, चाहे भले ही औलाद की वजह से मां को परेशानियां उठानी पड़ें लेकिन माँ कभी औलाद को बुरा नहीं कह सकती । माँ अपनी औलाद की बड़ी से बड़ी परेशानियों को चुटकियों में हल कर देती है जबकि बाकी रिश्तेदार मुसीबत की घड़ी में साथ छोड़ कर भाग जाते हैं ।अना देहलवी ने खासतौर से उन लोगों को हिदायत देते हुए कहा जिनको मां बाप बौझ लगते हैं कि मां बाप से ज्यादा बेगरज रिश्ता कोई दूसरा नहीं हो सकता । बदनसीब हैं वह लोग जो अपने मां-बाप को ओल्ड एज होम में रखते हैं ! उन्होंने कहा गरीब मिडिल क्लास परिवारों ने मां-बाप की पूरी जिंदगी बच्चों की परवरिश व शादी के लिए पैसे जमा करने में निकल जाती है। वह अपने लिए कुछ सोच ही नहीं पाते और फिर मां-बाप जब बढ़े हो जाते हैं तो यह नालायक बच्चे मां बाप को बोझ समझने लगते हैं । अना देहलवी ने यह भी कहां कि जो बच्चे अपने माता-पिता की इज्जत नहीं करते उन्हें याद रखना चाहिए कि वह दिन दूर नहीं कि वह भी बूढ़े होंगे और जो उन्होंने अपने माता पिता को दिया वही अपनी औलाद से उनको मिलेगा।
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