जफर खान/रहमत खान, अकोट/अकोला (महाराष्ट्र), NIT:
देश में चल रही कोरोना महामारी के बीच कई किस्से उभर कर सामने आ रहे हैं लेकिन अकोट तहसीलदार ने जो कार्य किया वह कार्य शायद ही कोई अधिकारी करे। ट्रेन, बस, वाहनों के बन्द होने के कारण कई मजदूर फंसे हुए हैं जो अपने घरों की ओर पैदल ही जा रहे हैं। काई जगहों पर मजदूरों की मौत की खबरें भी सामने आ रही हैं लेकिन अधिकारी करें भी तो क्या करें आखिर उन्हें भी कानून का पालन कर कार्यवाही करनी पड़ रही है। ऐसे ही 48 आदिवासी मज़दूर अपने गांव धारणी व आसपास के देहातों में अपने घर पैदल ही निकल गए, अकोट पहुंचते ही अड़गांव के कुछ समाजसेवक सगीर वा राजू भाई ने मजदूरों की भूखे प्यासे होने की खबर सुनी तो तुरंत ही अपने पैसों से उन्हें खाना बनवाकर खिलाया व चेकप करवा कर तहसीलदार को सूचित किया। दूसरे दिन अकोट के तहसीलदार राजेश गुरों ने स्वतः के खर्च से उन मजदूरों को खाना खिलवाया वा कुछ पैसे देकर गाड़ियों का इंतजाम करवाया और मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाया जिससे राजेश गूरो को समाज में काबिल अधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।
लोगों का कहना है कि राजेश गूरों को ज़िला अधिकारी द्वारा सम्मान से नवाजना चाहिए, ऐसे अधिकारियों को सम्मान मिला तो समाज में दूसरे अधिकारियों द्वारा भी अच्छे कार्य होते रहेंगे।